नवदुर्गा व नवग्रह आरती | Aarti

44

नवदुर्गा व नवग्रह आरती

 

नवदुर्गा व नवग्रह आरती कीजै
सद् गुरू किरपा पाई-माता तेरी आरती सजाई।

श्री गणपति को मनाई-माता तेरी आरती सजाई।।

यज्ञ पुरूष का धरि हिय ध्याना।

आहुति डारि पाई वरदाना।।

शिव-शिव कीरति गाई …..माता तेरी आरती सजाई।।

शैल पुत्रि-ब्रह्मचारिणि माई।

चन्द्र घण्टिका भई सहाई।।

कूष्माण्डा सुखदाई …. माता तेरी आरती सजाई।।

स्कन्दमाता हुई वरदाता।

कात्यायनी धरी सिर हाथा।।

कालरात्रि अपनाई …..माता तेरी आरती सजाई।।

महागौरी-सिधिदात्री संगा।

भरी हृदय में आए उमंगा।।

नवदुर्गा कहलाई …..माता तेरी आरती सजाई।।

नवग्रह सूरज-चन्द्र सुहाए।

मंगल-बुध-गुरू शोभा पाए।।

शुक्र कला दरशाई ….माता तेरी आरती सजाई।।

शनि-राहू-केतू संग पाई।

भए शान्त माँ महिमा गाई।।

संग नवदुर्गा ध्याई …..माता तेरी आरती सजाई।।

लोकपाल-दिग्पाल सुखारे।

शिव मण्डल के गण सब आरे।।

दीन्हीं कला बढ़ाई ….माता तेरी आरती सजाई।।

मिलि भक्तन संग ला जयकारी।

जब माँ की आरती उतारी।।

पा रिधि-सिद्धि प्रभुताई …..माता तेरी आरती सजाई।।

मिटा ताप-दुख-भय महामाई।

दया-कृपा आई बरसाई।।

भई सृष्टि सुखदाई …..माता तेरी आरती सजाई।।

अमर गुरू सब भेद मिटाए।

सब में शिव अरू शिवा दिखाए।।

‘कमलानन्द” गुन गाई …..माता तेरी आरती सजाई।।

नव दुर्गा देवी के मंत्र-

1. शैलपुत्री- ह्रीं शिवायै नम:।

2. ब्रह्मचारिणी- ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।

3. चन्द्रघण्टा- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।

4. कूष्मांडा- ऐं ह्री देव्यै नम:।

5. स्कंदमाता- ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

6. कात्यायनी- क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।

7. कालरात्रि – क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

8. महागौरी- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

9. सिद्धिदात्री – ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

श्री श्री 1008 गुरु कमलानंद जी महाराज द्वारा रचित

बाबा महावतार सेवा ट्रस्ट(रजि.)
मंदिर-
(श्री काली देवी मंदिर, बैंक कॉलोनी, नजदीक, रेलवे फाटक,
सीएमसी अस्पताल, हिसार, हरियाणा)
धाम-
(बड़वा धाम, हिसार, राजगढ़ रोड़, SH52 बड़वा)