CBSE बोर्ड परीक्षा में ऐतिहासिक बदलाव,  50% योग्यता आधारित सवाल, साल में दो बार परीक्षा का विकल्प

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बड़े और क्रांतिकारी बदलावों की घोषणा की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप अब परीक्षाओं में रटने वाली पढ़ाई की जगह बौद्धिक क्षमता, तार्किक सोच और वास्तविक समझ को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके साथ ही छात्रों के मानसिक दबाव को कम करने के उद्देश्य से साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देने का विकल्प भी दिया जाएगा।

50% प्रश्न होंगे योग्यता आधारित

CBSE के अनुसार, अब प्रश्नपत्रों का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा। बोर्ड परीक्षाओं में 50 प्रतिशत प्रश्न योग्यता आधारित (Competency-Based) होंगे। इनमें बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs), केस स्टडी आधारित प्रश्न और स्रोत-आधारित एकीकृत प्रश्न शामिल रहेंगे। इन सवालों का मकसद यह जांचना होगा कि छात्र विषय को केवल याद नहीं कर रहा, बल्कि उसे वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में लागू भी कर पा रहा है। वहीं, पारंपरिक लंबे उत्तर वाले प्रश्नों का वेटेज घटा दिया गया है, ताकि रट्टा मार पद्धति पर रोक लग सके।

साल में दो बार बोर्ड परीक्षा का विकल्प

छात्रों के तनाव को ध्यान में रखते हुए CBSE ने साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देने की सुविधा देने की योजना बनाई है। यह व्यवस्था अनिवार्य नहीं, बल्कि स्वैच्छिक होगी।जो छात्र पहले प्रयास के अंकों से संतुष्ट नहीं होंगे, वे दूसरी बार परीक्षा दे सकेंगे। दोनों परीक्षाओं में से जिसमें अधिक अंक होंगे, वही अंतिम परिणाम माना जाएगा। इससे छात्रों पर “एक ही मौके” का दबाव कम होगा और वे अधिक आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दे पाएंगे।

रट्टा मार पद्धति पर लगेगी लगाम

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि नए पैटर्न से छात्रों को हर विषय की गहरी समझ विकसित करनी होगी। विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में सीधे सवाल पूछने के बजाय तार्किक और विश्लेषणात्मक सोच पर आधारित प्रश्न पूछे जाएंगे। इससे छात्रों की क्रिटिकल थिंकिंग और समस्या समाधान क्षमता का वास्तविक मूल्यांकन हो सकेगा।

स्कूलों और शिक्षकों को दिए गए निर्देश

CBSE ने सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं कि वे आंतरिक परीक्षाओं और प्री-बोर्ड में भी इसी नए पैटर्न को अपनाएं। इसके साथ ही शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे छात्रों को योग्यता आधारित प्रश्नों के लिए बेहतर तरीके से तैयार कर सकें।

अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी की ओर कदम

बोर्ड का मानना है कि यह बदलाव भारतीय शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाएगा और छात्रों को भविष्य की प्रतियोगी व अंतरराष्ट्रीय परीक्षाओं के लिए अधिक सक्षम बनाएगा। कुल मिलाकर, CBSE का यह कदम परीक्षा प्रणाली में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है, जो छात्रों के सीखने के तरीके और सोच को पूरी तरह बदल देगा।