
उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में मानव–भालू संघर्ष तेजी से बढ़ता जा रहा है। हाल के दिनों में भालुओं द्वारा ग्रामीणों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कई लोग घायल हुए हैं और कुछ की मौत भी हो चुकी है। चिंताजनक बात यह है कि भालू अब जंगलों से निकलकर सीधे गांवों और घरों के आसपास नजर आने लगे हैं। स्थिति को गंभीर मानते हुए वन विभाग ने प्रदेशभर में अलर्ट जारी किया है।
प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) रंजन कुमार मिश्र ने बताया कि सर्दियों के मौसम में भालू आमतौर पर हाइबर्नेशन (शीत–निष्क्रिय अवस्था) में रहते हैं, लेकिन भोजन की कमी, कचरे के अनुचित निस्तारण और पर्यावरणीय बदलावों के कारण उनके व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि भालू मानव बस्तियों की ओर बढ़ रहे हैं और गांवों में प्रवेश की घटनाएं बढ़ गई हैं।
वन विभाग ने लोगों को विशेष रूप से सुबह और शाम के समय सतर्क रहने की सलाह दी है। विभाग ने कहा है कि लोग अकेले जंगल की ओर न जाएं, समूह में ही बाहर निकलें। घरों के आसपास कचरा न फैलाने और पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था रखने की भी अपील की गई है। साथ ही घरों के पास की झाड़ियों को नियमित रूप से साफ रखने के निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि भालू छिपने की जगह न बना सकें।
विभाग ने अपने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि भालू की सक्रियता वाले इलाकों की पहचान की जाए और किसी भी घटना की सूचना पर तुरंत मौके पर पहुंचकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए। प्रभावित क्षेत्रों को सुरक्षित किया जाएगा और भीड़ को घटनास्थल से दूर रखा जाएगा, ताकि किसी तरह की अप्रिय स्थिति न उत्पन्न हो।
मानव–भालू संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग प्राकृतिक आवास में भालुओं के भोजन स्रोत बढ़ाने की योजना पर भी काम कर रहा है। इसके तहत जंगलों में ओक, काफल, जंगल बेरी सहित फलदार पौधों के रोपण को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा, जहां भालुओं की आबादी अधिक है, वहां उनके आवास स्थलों के संरक्षण की दिशा में भी कदम उठाए जाएंगे।
विभाग ने यह भी कहा है कि फील्ड स्टाफ को नियमित प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे भालुओं के व्यवहार को बेहतर समझ सकें और आधुनिक बचाव तकनीकों का उपयोग कर सकें। विभाग का मानना है कि क्षेत्र और मौसम आधारित प्रबंधन योजनाएं बनाकर मानव–वन्यजीव संघर्ष पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है।
अंत में, वन विभाग ने लोगों से अपील की कि भालू दिखाई देने पर तुरंत अधिकारियों को सूचना दें और स्वयं किसी भी तरह की कार्रवाई करने से बचें। जागरूकता और सतर्कता ही इस संघर्ष को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है।













