नासा ने रचा इतिहास, सुपरसोनिक विमान का सफल परीक्षण

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने विमानन इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। एजेंसी ने अपने सुपरसोनिक विमान प्रोटोटाइप का सफल परीक्षण कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सफलता आने वाले वर्षों में वैश्विक विमानन उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली है।

नासा के अनुसार, इस परीक्षण का मकसद ऐसी नई तकनीक विकसित करना है जिससे विमान ध्वनि की गति से भी तेज उड़ सके, लेकिन पारंपरिक सुपरसोनिक विमानों की तरह तेज ‘सोनिक बूम’ (ध्वनि धमाका) न करे। यह तकनीक हवाई यात्रा को न सिर्फ तेज बल्कि शांत और पर्यावरण-अनुकूल भी बनाएगी।

परीक्षण के दौरान विमान ने उच्च गति पर उड़ान भरी, और इंजीनियरों ने उसकी वायुगतिकीय स्थिरता, इंजन प्रदर्शन और ध्वनि स्तर का बारीकी से अध्ययन किया। नासा के अधिकारियों ने बताया कि यह प्रयोग साबित करता है कि भविष्य में सुपरसोनिक यात्री विमान न केवल अधिक गति और दक्षता देंगे, बल्कि शोर और प्रदूषण को भी न्यूनतम स्तर पर रखेंगे।

तेज़ यात्रा का नया युग

वर्तमान में न्यूयॉर्क से लंदन की उड़ान लगभग सात घंटे लेती है। लेकिन इस तकनीक के जरिए यह यात्रा सिर्फ तीन से साढ़े तीन घंटे में पूरी की जा सकेगी। यह उपलब्धि नासा के “क्वेस्ट मिशन” के तहत हासिल की गई है, जिसका लक्ष्य वाणिज्यिक सुपरसोनिक यात्रा को सुरक्षित, किफायती और पर्यावरण हितैषी बनाना है। इस मिशन में बोइंग और लॉकहीड मार्टिन जैसी प्रमुख कंपनियां नासा की साझेदार हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नासा की यह कामयाबी भविष्य में साइलेंट सुपरसोनिक ट्रैवल के युग की शुरुआत करेगी जहां हवाई यात्रा तेज़ भी होगी और शांत भी।

नासा के प्रशासक ने कहा कि “हम विमानन के भविष्य को फिर से परिभाषित करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। यह परीक्षण साबित करता है कि मानवता अब ऐसी तकनीक के बेहद करीब है जो गति और स्थिरता दोनों का संतुलन साधेगी।”

विमानन जगत में इस उपलब्धि को लेकर भारी उत्साह है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दशक में इस तकनीक पर आधारित पहली व्यावसायिक सुपरसोनिक उड़ानें शुरू हो सकती हैं, जो हवाई यात्रा के चेहरे को हमेशा के लिए बदल देंगी।