
भारत अब केवल अपनी रक्षा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से नहीं बढ़ रहा, बल्कि एक विश्वसनीय रक्षा निर्यातक के रूप में भी वैश्विक मंच पर मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2024 के बीच भारत के रक्षा आयात में 34% की गिरावट, जबकि निर्यात में 700% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की बड़ी उपलब्धि
SIPRI रिपोर्ट के अनुसार, एक दशक पहले तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा आयातक था, लेकिन अब यह स्थान सऊदी अरब और कतर जैसे देशों ने ले लिया है। यह परिवर्तन ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों की वजह से आया है, जिनके अंतर्गत घरेलू रक्षा निर्माण को प्राथमिकता दी गई है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत का रक्षा निर्यात 2013-14 में 686 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंच गया — यह करीब 30 गुना वृद्धि है।
इस वृद्धि में प्रमुख योगदान देने वाली कंपनियाँ
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL): लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, इंजन निर्माण
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL): रडार, कम्युनिकेशन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली
भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL): मिसाइल, टॉरपीडो, सामरिक हथियार
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स व निजी स्टार्टअप्स: ड्रोन, AI आधारित तकनीक, साइबर हथियार
विदेशी आयात में गिरावट, विविधता में वृद्धि
भारत अभी भी कुछ उन्नत रक्षा प्लेटफॉर्म्स के लिए विदेशी तकनीक पर निर्भर है, लेकिन अब वह मल्टी-सोर्स पॉलिसी पर काम कर रहा है:
रूस की हिस्सेदारी 60% से घटकर 36% रह गई है
फ्रांस से 30% आयात, जिनमें राफेल विमान प्रमुख
अमेरिका से 11% आयात (अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर)
इसके अलावा, इज़राइल, दक्षिण कोरिया, इटली से भी उपकरणों की खरीद
2025 तक लक्ष्य, 35,000 करोड़ का रक्षा निर्यात
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक रक्षा निर्यात 35,000 करोड़ रुपये तक पहुंचे। इसके लिए सरकार ने 411 रक्षा उपकरणों को ‘निगेटिव आयात लिस्ट’ में शामिल किया है, यानी अब ये उपकरण भारत में ही विकसित किए जाएंगे।
प्रमुख स्वदेशी रक्षा प्रणालियाँ
तेजस लड़ाकू विमान
आईएनएस विक्रांत (देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत)
अग्नि मिसाइल श्रृंखला
ड्रोन, AI आधारित सुरक्षा प्रणाली, साइबर हथियार
अंतरराष्ट्रीय रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि भारत ने स्वदेशी उत्पादन, तकनीकी नवाचार और निर्यात के क्षेत्र में पिछले एक दशक में अभूतपूर्व प्रगति की है। हालांकि पूर्ण आत्मनिर्भरता अभी एक दीर्घकालिक लक्ष्य है, लेकिन मौजूदा रफ्तार को देखते हुए भारत जल्द ही दुनिया के अग्रणी रक्षा उत्पादकों की सूची में शामिल हो सकता है।
भारत की रक्षा नीति अब आयातक से निर्यातक बनने की ऐतिहासिक यात्रा पर है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियान अब सिर्फ नारे नहीं, बल्कि वैश्विक रणनीतिक सफलता की मजबूत बुनियाद बन चुके हैं।