डिजिटल भविष्य की ओर अग्रसर

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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 2024 में भारत के डिजिटल ढांचे को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल शुरू की हैं। इनका उद्देश्य भारत को एक वैश्विक तकनीकी हब के रूप में स्थापित करना और अत्याधुनिक नवाचारों को आम लोगों के लिए सुलभ बनाना है। मंत्रालय ने सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम के तहत, देश में सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इनमें टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (टीईपीएल) का ₹91,526 करोड़ का निवेश प्रमुख है, जिसके तहत सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन (फैब) सुविधा स्थापित की जाएगी। यह सुविधा हर महीने 50,000 सिलिकॉन वेफर्स का उत्पादन करेगी, जो कंप्यूटर चिप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने में उपयोग किए जाते हैं।

इसके अलावा, टीईपीएल ने ₹27,120 करोड़ के निवेश से एक आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट (ओएसएटी) सुविधा की मंजूरी ली है, जो रोजाना 4.8 करोड़ सेमीकंडक्टर यूनिट का उत्पादन करेगी। सीजी पावर और केनेस टेक्नोलॉजी जैसी अन्य कंपनियों ने भी इस क्षेत्र में निवेश की योजना बनाई है। गुजरात के साणंद में केनेस टेक्नोलॉजी द्वारा ₹3,307 करोड़ के निवेश से एक ओएसएटी सुविधा स्थापित की जाएगी, जो रोजाना 60.30 लाख चिप्स बनाएगी। इन पहलों से न केवल भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि यह देश को वैश्विक सेमीकंडक्टर केंद्र बनने के करीब ले जाएगा।

साथ ही, मंत्रालय ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और कौशल विकास पर भी विशेष ध्यान दिया है। एआई आधारित समाधान और नई तकनीकों में युवाओं को प्रशिक्षित करने के कार्यक्रम भारत को डिजिटल युग में अग्रणी बनाएंगे। यह पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश की तकनीकी और आर्थिक प्रगति को गति देने के लिए तैयार है।