परिचय: हनुमान जी, जिन्हें “अनंत बलवंत” के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय और आदर्श भक्त माने जाते हैं। वे भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्र अवतार हैं। उन्हें अंजनी पुत्र, केसरी नंदन, पवनपुत्र और राम भक्त के नाम से भी जाना जाता है। श्री हनुमान जी की शक्ति, भक्ति और निःस्वार्थ सेवा का उल्लेख कई धर्मग्रंथों में मिलता है।
जन्म और उत्पत्ति:
1. जन्म स्थान:
हनुमान जी का जन्म कपि समाज में हुआ था। उनकी माता अंजना, वानर जाति की थीं और पिता केसरी, वानरों के राजा थे।
2. जन्म की कथा:
एक बार अंजना देवी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप शिव जी ने उनके पुत्र रूप में अवतार लिया। यह भी कहा जाता है कि वायु देव के आशीर्वाद से अंजना को यह दिव्य पुत्र प्राप्त हुआ, इसलिए उन्हें “पवनपुत्र” भी कहा जाता है।
गुण और विशेषताएँ:
1. शक्ति और बल:
हनुमान जी अजेय योद्धा और अद्वितीय शक्ति के प्रतीक हैं। वे पर्वतों को उठा सकते हैं, समुद्र को पार कर सकते हैं और असुरों का नाश कर सकते हैं।
2. भक्ति और निष्ठा:
हनुमान जी भगवान श्रीराम के प्रति असीम भक्ति के प्रतीक हैं। वे निःस्वार्थ सेवा और भगवान के आदेशों का पालन करने में सबसे अग्रणी हैं।
3. विद्या और ज्ञान:
बचपन में सूर्य को ग्रहण करने के प्रयास में उन्होंने सूर्य देव से शिक्षा प्राप्त की। वे वेदों, शास्त्रों और व्याकरण के महान ज्ञाता हैं।
4. अमरता:
हनुमान जी को वरदान मिला कि जब तक पृथ्वी पर रामकथा का प्रचार होगा, वे अमर रहेंगे।
महत्वपूर्ण घटनाएँ:
1. रामायण में भूमिका:
सीता जी की खोज के लिए श्रीराम ने हनुमान जी को भेजा।
लंका पहुंचकर उन्होंने सीता माता को भगवान श्रीराम का संदेश दिया।
रावण की अशोक वाटिका में उन्होंने अपनी शक्ति और भक्ति का प्रदर्शन किया।
संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी का जीवन बचाया।
2. महाभारत में उपस्थिति:
महाभारत में हनुमान जी ने भीम से भेंट की और अर्जुन के रथ पर ध्वज के रूप में उपस्थित रहकर उनकी रक्षा की।
शास्त्रों में वर्णन:
1. वाल्मीकि रामायण:
वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी को एक आदर्श भक्त और सेवक के रूप में वर्णित किया गया है।
2. हनुमान चालीसा:
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में उनकी शक्ति, भक्ति और गुणों का वर्णन मिलता है।
3. महाभारत और पुराण:
महाभारत और विभिन्न पुराणों जैसे शिव पुराण, विष्णु पुराण, और श्रीमद्भागवत महापुराण में उनकी महानता का उल्लेख है।
पूजा और महत्व:
1. हनुमान जयंती:
हनुमान जी का जन्मदिन चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है।
2. आराधना:
उनकी पूजा से भय, बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है।
3. संदेश:
हनुमान जी हमें निःस्वार्थ सेवा, समर्पण, और आत्मबल का संदेश देते हैं।
हनुमान जी का जीवन चरित्र हर युग में प्रेरणादायक और आदर्श है। उनके प्रति भक्ति से शक्ति, साहस और निष्ठा का संचार होता है।