भारत का रक्षा निर्यात इस वित्तीय वर्ष (2023-2024) में 32.5% बढ़कर पहली बार ₹21,000 करोड़ का आंकड़ा पार किया है. रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि देश में स्वदेशी रक्षा विनिर्माण का इकोसिस्टम विकसित हो रहा बल्कि सैन्य वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, हालिया आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में पिछले 10 वर्षों में रक्षा निर्यात 31 गुना बढ़ गया है. मंत्रालय के अनुसार, ‘रक्षा निर्यात ने 2023-24 में रिकॉर्ड ₹21,083 करोड़ (लगभग US$ 2.63 बिलियन) को छू लिया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 के ₹15,920 करोड़ की तुलना में 32.5% की वृद्धि है.’वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, निजी क्षेत्र का 60 प्रतिशत, डीपीएसयू का 40 प्रतिशत योगदान रहा.
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इस वित्त वर्ष में निजी क्षेत्र और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) के क्रमशः 60% और 40% का योगदान रहा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘सभी को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारतीय रक्षा निर्यात अभूतपूर्व बुलंदी पर पहुंच गया है और यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार 21,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है. वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32.5% की शानदार वृद्धि है.’
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भारत ने 2024-25 तक 35,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात लक्ष्य रखा है. देश वर्तमान में लगभग 85 देशों को सैन्य हार्डवेयर निर्यात कर रहा है, जिसमें लगभग 100 कंपनियां निर्यात में शामिल हैं. इसमें मिसाइलें, तोपें, रॉकेट, बख्तरबंद वाहन, अपतटीय गश्ती जहाज, व्यक्तिगत सुरक्षा गियर, विभिन्न प्रकार के रडार, निगरानी प्रणाली और गोला-बारूद शामिल हैं.
बयान में कहा गया है कि 2004-05 से 2013-14 और 2014-15 से 2023-24 की अवधि के तुलनात्मक आंकड़ों से पता चलता है कि रक्षा निर्यात 21 गुना बढ़ गया. 2004-05 से 2013-14 में रक्षा निर्यात ₹4,312 करोड़ था, जो 2014-15 से 2023-24 की अवधि में बढ़कर ₹88,319 करोड़ हो गया है.