G-20 देशों की बैठक में ‘महर्षि’ को म‍िला समर्थन, अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होगा काम!

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में तीन दिवसीय G-20 कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों की बैठक सोमवार से शुरू हुई है. ज‍िसमें ‘सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड फूड सिस्टम फॉर हेल्दी पीपल एंड प्लेनेट’  विषय पर विचार विमर्श हुआ. बैठक में ‘महर्षि’ पर चर्चा के लिए विशेष सत्र आयोजित क‍िया गया.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में तीन दिवसीय G-20 कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों की बैठक में ‘सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड फूड सिस्टम फॉर हेल्दी पीपल एंड प्लेनेट‘  विषय पर विचार विमर्श हुआ, ज‍िसमें भारत की भूमि‍का अहम रही. असल में श्रीअन्न और अन्य प्राचीन अनाजों के उत्पादन एवं पोषणीय लाभ के प्रति शोध एवं जागरूकता के ल‍िए भारत ने अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल महर्षि’ पर चर्चा प्रस्ताव‍ित की थी. इस दौरान G-20 राष्ट्रों,आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने महर्षि पहल का समर्थन किया. बैठक में श्रीअन्न को जलवायु अनुकूल एवं पोषणीय फसलें बताया गया. साथ ही बैठक में मोटे अनाजों पर अनुसंधान को वैश्विक स्तर पर किए जाने को लेकर भी चर्चा हुई. इस कार्यक्रम का उद्घाटन 17 अप्रैल, 2023 को केन्द्रीय नागरिक उड्डयन एवं सड़क परिवहन तथा राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) (डॉ.) वी.के. सिंह द्वारा किया गया।

अन्न और अन्य प्राचीन अनाजों के उत्पादन एवं पोषणीय लाभ के प्रति शोध एवं जागरूकता हेतु भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पहल “महर्षि” पर चर्चा करने के लिए एक सत्र आयोजित किया गया। जी20 राष्ट्रों, आमंत्रित देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने महर्षि पहल का समर्थन किया तथा व्यक्त किया कि श्री अन्न (मिलेट्स) जलवायु अनुकूल एवं पोषणीय फसलें हैं, अतः इन मोटे अनाजों पर अनुसंधान वैश्विक स्तर पर किया जा सके।

डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) तथा श्री फिलिप माउगिन, अध्यक्ष एवं सीईओ, आईएनआरएई – राष्ट्रीय कृषि, खाद्य एवं पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (फ्रांस) ने भारत और फ्रांस की द्विपक्षीय बैठक में अपने संबंधित प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन, फसल विविधीकरण, मिट्टी तथा जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती और बायोफोर्टिफाइड फसलों से संबंधित विषयों पर सहयोग करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

17 अप्रैल, 2023 की शाम को प्रतिनिधियों ने क्रूज से गंगा आरती का दर्शन किया तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।

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18 अप्रैल को कृषि अनुसंधान एवं विकास में डिजिटल कृषि और सतत् कृषि मूल्य श्रृंखला तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। मैक्स कम्यूनिके पर भी चर्चा की गई इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. हिमांशु पाठक ने किया।

प्रथम सत्र में डिजिटल कृषि तथा ट्रेसबिलिटी पर आधारित फसल एवं खाद्य क्षति को कम करने के लिए डिजिटल तकनीकी द्वारा समाधान; एग्री-टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम; बहुआयामी कृषि विस्तार और सलाहकार सेवाएं (ईएएस), प्रयोगशाला से भूमि और आउटरीच में सुधार के लिए भागीदारी, छोटे किसान और परिवारिक खेती, जी20- कृषि-अनुसंधान एवं विकास के लिए वैश्विक दक्षिण सहयोग, सार्वजनिक वस्तुओं के लिए सार्वजनिक-निजी कृषि-अनुसंधान एवं विकास, नवाचार सृजन के क्षेत्र जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।

इससे पहले जी20 मैक्स के दूसरे दिन सुबह, एफएओ के साथ द्विपक्षीय बैठक हुई। डॉ. पाठक ने इस बैठक में कहा कि किसानों तक कृषि संबंधी विस्तार सेवाओं को प्रभावी ढ़ंग से पहुंचाने में केवीके का सहयोग अति महत्वपूर्ण होगा। एफएओ के प्रतिनिधियों ने भी कृषि विस्तार सेवा में सहयोग बढ़ाने में गहरी दिलचस्पी दिखाई। इस बैठक में एफएओ के मुख्य वैज्ञानिक, डॉ. इश्महाने एलौफी तथा एफएओ के वरिष्ठ कृषि अधिकारी डॉ. सेलवाराजू रामास्वामी ने भाग लिया। बैठक में प्रतिनिधियों ने बीज उत्पादन के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की सराहना किया और कहा कि भारत की अन्य देशों के लिए बीज उत्पादन के क्षेत्र में बहुत बड़ी भूमिका होगी।

प्रतिनिधि शाम को लाइट एंड साउंड शो एवं एएसआई संग्रहालय का भी भ्रमण किया। इस बैठक में जी20 के सदस्य देशों के 80 प्रतिनिधियों के अलावा आमंत्रित अतिथि देश, अंतर्राष्ट्रीय संगठन और भारत द्वारा विशेष आमंत्रित सदस्य भाग ले रहे हैं। समापन दिवस 19 अप्रैल, 2023 तक एमएसीएस कम्यूनिक पर विचार-विमर्श होगा।