एजेंसी। श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री के रूप में रानिल विक्रमसिंघे के शपथ लेने के बाद भारतीय उच्चायोग ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अनुसार गठित नयी श्रीलंकाई सरकार के साथ काम करने को लेकर आशान्वित है तथा द्वीप राष्ट्र के लोगों के लिए नयी दिल्ली की प्रतिबद्धता जारी रहेगी।
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बुधवार को बंद कमरे में हुई चर्चा के बाद यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के 73 वर्षीय नेता को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। विक्रमसिंघे चार बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उन्हें अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था।
हालांकि, दो महीने बाद सिरिसेना ने उन्हें फिर से प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया था। भारतीय उच्चायोग ने एक ट्वीट में कहा, “श्रीलंका के लोगों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता जारी रहेगी।” इसने कहा, “भारतीय उच्चायोग राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद करता है और वह श्रीलंका के प्रधानमंत्री के रूप में माननीय रानिल विक्रमसिंघे के शपथ ग्रहण के साथ लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अनुसार गठित श्रीलंका सरकार के साथ काम करने को लेकर आशान्वित है।”
महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद श्रीलंका की स्थिति पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में भारत ने मंगलवार को कहा था कि वह द्वीपीय राष्ट्र के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का “पूरी तरह से समर्थन” करता है।
विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “पड़ोसी प्रथम की हमारी नीति के मद्देनजर भारत ने श्रीलंका के लोगों को उनकी मौजूदा कठिनाइयों को दूर करने में मदद करने के लिए अकेले इस वर्ष 3.5 अरब डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की है। इसके अलावा, भारत के लोगों ने भोजन और दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी को कम करने के लिए सहायता प्रदान की है।” वर्ष 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से श्रीलंका अब तक के सर्वाधिक भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।