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इस गांव में आज भी बरकरार है रावण का खौफ, पुतले दहन की जगह की जाती है पूजा

नई दिल्ली- आज पूरे देश में दशहरा धूम-धाम से मनाया जा रहा है। आज के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत का सदेंश दिया था। दशहरे पर रावण दहन की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इस दिन रावण के पुतले को फूंका जाता है, पर आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे जहां ना रावण का पुतला जलाया जाता है और ना ही रामलीला होती है। यह गांव दिल्ली से सटे नोएडा से करीब दस किलोमीटर दूर है। इस गांव का नाम बिसरख है। दरअसल इस गांव में पिछले कई सालों से दशहरा नहीं मनाया जाता।

इस वजह से नहीं मनाया जाता ‘दशहरा’

कहा जाता है कि जब कई वर्षों पहले इस गांव में दशहरा मनाया गया थो तो दशहरे के दिन गांव के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, पर इसे अनदेखा कर अगले साल इस गांव में रावण के पूतले का दहन किया गया और उसी समय रामलीला में भाग लिए एक पात्र की मौत हो गई जिसके बाद से ही यहां रावण दहन ना करने की प्रथा है। आपको बता दें कि इस गांव में एक भी भगवान राम का मंदिर नहीं है। बिसरख में केवल एक शिव का मंदिर है। इस मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहां ये मंदिर रावण के पिता द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बनाया गया था। इस मंदिर में अष्टभुजा धारी शिवलिग स्थापित किया गया है जिसके बाद यह मंदिर ओर भी खास माना जाता है।

इस मंदिर को हेलीकॉप्टर सेवा से जोड़ने की मांग

इस शिव मंदिर में पूरे साल शिवभक्तों का तांता लगा ही रहता है। यहां के पुजारी ने बताया कि बिसरख के इस मंदिर में जो भी आता है वह कभी निराश होकर नहीं लौटता, मतलब हर किसी की मनोकामना यहां पूरी होती हैं। वहीं दादरी आर्य प्रतिनिधि सभा के जिलाध्यक्ष ने 2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने इस शिव मंदिर को हेलीकॉप्टर सेवा से जोड़ने की मांग की थी।

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