पूर्व लोकसभा सांसद दिव्या स्पंदना ने गिनाई RSS और मुस्लिम ब्रदरहुड की समानताएं

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 कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर हमला करना तेज कर दिया है। हाल ही में उन्होंने संघ की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की थी, जिसकी संघ ने घोर निंदा भी की थी। अब कांग्रेस की ओर से तथ्यों के साथ संघ पर निशाना साधा गया है। कुछ दिनों पहले लंदन के स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स (एलएसई) में आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने छात्रों के साथ संवाद करते हुए जिनमें ज्यादातर भारतीय थे, राहुल गांधी ने कहा- 2019 में बीजेपी का एक बड़े गठबंधन के साथ सामना होगा। उन्होंने कहा- “हम यह मानते हैं कि हमारी प्राथमिकता पहले बीजेपी को हराना है और संस्थानों पर अतिक्रमण को रोकना है। वो जहर को रोकना है जो फैलाया जा रहा है, वह विभाजन रोकना है जो इस वक्त हो रहा है।”

कांग्रेस की IT सेल प्रमुख और पूर्व लोकसभा सांसद दिव्या स्पंदना ने गुरुवार को ट्वीट कर संघ और मुस्लिम ब्रदरहुड की तुलना की। उन्होंने कुछ आंकड़े जारी करते हुए लिखा कि मुस्लिम ब्रदरहुड और संघ की स्थापना एक ही दशक में हुई, दोनों का लक्ष्य समान ही है। इतना ही नहीं बल्कि इनके काम करने का तरीका भी एक ही है।

दिव्या ने गिनाए ये तर्क

           मुस्लिम ब्रदरहुड   राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)  
   1920 के दशक में स्थापना    1920 के दशक में स्थापना
    सेकुलर स्टेट को बदलने का लक्ष्य   सेकुलर स्टेट को बदलने का लक्ष्य
2011 में अरब क्रांति ने मुस्लिम ब्रदरहुड को    शक्ति दी और मोरसी सत्ता में आया। 2011 में अन्ना आंदोलन से RSS को तेजी मिली, जिसके बाद मोदी सत्ता में आए।
मुस्लिम ब्रदरहुड देश पर पूरी तरह कंट्रोल चाहता था।   आरएसएस देश पर कंट्रोल चाहता है
अनवर सादत की हत्या के बाद बैन किया गया महात्मा गांधी की हत्या के बाद किया गया था बैन

यह था मामला

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बड़ा बयान दिया है। इसी कड़ी में उन्होंने आरएसएस की तुलना भी मुस्लिम ब्रदरहुड से कर दी है। लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों उत्तर प्रदेश में विपक्षी खेमा एकजुट होकर चुनाव लड़ा तो बीजेपी को 5 सीटें भी नहीं मिलेंगी। राहुल गांधी ने आरएसएस की तुलना सुन्नी इस्लामी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से की। उन्होंने कहा कि आरएसएस भारत के हर संस्थान पर कब्जा करना चाहता है और देश के स्वरूप को ही बदलना चाहता है।

बताते चलें कि मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्र का सबसे पुराना और सबसे बड़ा इस्लामी संगठन है जिसकी स्थापना 1928 में हसन अल-बन्ना ने की थी। मुस्लिम ब्रदरहुड का एक मुख्य मकसद है कि देश का शासन इस्लामी कानून यानी शरिया के आधार पर चलाना है। अरब देशों में सक्रिय इस संगठन पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का भी आरोप लगता रहा है। मिस्र में इस संगठन फिलहाल अवैध करार दिया जा चुका है। मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्र का सबसे पुराना और सबसे बड़ा इस्लामी संगठन है। इसे इख्वान अल- मुस्लमीन के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना 1928 में हसन अल-बन्ना ने की थी।

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