Home news 15 August Special: कैसे हुआ था भारत-पाक का बंटवारा, उस दौरान कहां...

15 August Special: कैसे हुआ था भारत-पाक का बंटवारा, उस दौरान कहां थे गांधी जी?

क्या सच में भारत को आजादी 15 अगस्त को मिली थी? भारत-पाकिस्तान एक दिन आजाद हुआ और पाक भारत से विभाजित होकर एक नया राष्ट्र बना तो पाकिस्तान एक दिन पहले 14 अगस्त को क्यों स्वतंत्रता दिवस मनाता है?

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस, ये दिन पूरे भारतवर्ष के लिए गर्व का दिन है। इस दिन अंग्रेजों के चंगुल से भारत ने आजादी पाई थी। इस आजादी के लिए अनगिनत स्वतंत्रता सेनानी शहीद हुए थे और आखिकार 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र राष्ट्र कहलाया। पर क्या भारत को आजादी 15 अगस्त को मिली थी? भारत-पाकिस्तान एक दिन आजाद और विभाजित हुआ तो पाकिस्तान एक दिन पहले 14 अगस्त को क्यों स्वतंत्रता दिवस मनाता है? ऐसे ही ढेरों सवाल होते हैं जब एक हिन्दुस्तानी पाकिस्तान को 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते देखता है। आज हम आपको आपके इन्हीं सभी सवालों के जवाब देंगे।

भारत-पाक विभाजन

15 अगस्त 1947 की रात को भारत-पाकिस्तान को कानूनी तौर पर दो स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा प्राप्त हुआ। पाकिस्तान की सत्ता परिवर्तन की रस्में कराची में होनी थी और भारत की दिल्ली में। एक ही समय पर दोनों जगह लॉर्ड माउंटबेटन उपस्थित नहीं हो सकते थे। उनकी उपस्थिति दोनों जगह हो सके इसलिए पाकिस्तान के कराची में 14 अगस्त को कानूनी रस्में रखी गई और 15 अगस्त को भारत की।

पाकिस्तान का ‘स्वतंत्रता दिवस’

एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को कराची में कानूनी तौर पर पाकिस्तान के स्वंतत्र राष्ट्र होने की रश्में निभाई गई थी इसलिए पाकिस्तान हिन्दुस्तान से एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाता है।

देश के पहले प्रधानमंत्री का ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ भाषण काफी प्रसिद्ध हुआ था। ये भाषण पीएम ज्वाहरलाल नेहरू ने आजादी के पहले जश्न पर दिया था जिसे लोगों ने काफी पसंद किया था।

कहां थे भारत-पाक बंटवारे के दौरान गांधी जी?

ऐसा माना जाता है कि जब हिन्दुस्तान ने अपनी पहला स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया था तो गांधी जी उसमें शामिल नहीं हुए थे। कई इतिहासकर्ताओं की मानें तो महात्मा गांधी उस दौरान बंगाल के नोआखली में थे। उस समय नोआखली में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़की हुई थी जिसे रोकने के लिए गांधी जी अनशन पर बैठे थे।

Exit mobile version