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माँ भगवती का बेहद कल्याणकारी स्तोत्र.. माँ भगवती सबके द्वारा पूजित और वन्दित हैं, तीनों लोकों की कल्याणकारी माँ हैं,

श्री भगवती देवी स्तोत्र की रचना महर्षि ब्यास जी ने की है। जो प्राणी शुद्ध भावना से नियमपूर्वक इस व्यास कृत स्तोत्र का पाठ करता है, अथवा माँ पर विश्वाश कर उच्च चेतना से पाठ करता है, उसके ऊपर भगवती सदा ही प्रसन्न रहती हैं।
माँ दुर्गा सबके द्वारा पूजित और वन्दित हैं तथा तीनों लोकों की कल्याणकारी माँ हैं । माँ भगवती संसार के समस्त प्राणियों को जन्म, मृत्यु, जरा और मोक्ष की प्राप्ति कराती हैं । समस्त अमंगलों का नाश करने वाली देवी है। भगवान शिव की प्रिया देवी भगवती के सिवा संसार में दूसरा कौन है, जिसका चित्त सबका कल्याण करने के लिए सदा ही दयार्द्र रहता हो।
माँ भगवती शरण में आए हुए शरणार्थियों की रक्षा कर सबकी पीड़ा दूर करने वाली हैं । माँ जब अपने भक्त से प्रसन्न होती है तो मनुष्य की समस्त बाधाओं और व्याधियों का नाश कर देती हैं। जो मनुष्य माँ भगवती की शरण में चले जाते हैं, वे मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले बन जाते हैं।

जय भगवति देवि नमो वरदे, जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे, प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥१॥

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे, जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे, जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥२॥

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे, जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते, जय भास्करशक्रशिरोऽवनते॥३॥

जय षण्मुखसायुधईशनुते, जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दुःखदरिद्रविनाशकरे, जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥४॥

जय देवि समस्तशरीरधरे, जय नाकविदर्शिनि दुःखहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे, जय वाच्छितदायिनि सिद्धिवरे॥५॥

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियतः शुचिः।
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥६॥

इति व्यासकृतं श्रीभगवतीस्तोत्रं सम्पूर्णम्

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