लक्ष्मी-गणेश पूजन की सबसे सरल विधि
लक्ष्मी-गणेश पूजन की सबसे सरल विधि के बारे में – दीपावली हिंदू धर्म सर्वाधिक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। दीपावली शब्द की उत्पत्ति 2 शब्दों से मिलकर हुई है दीप+आवली=दीपावली। दीप का मतलब दिया और आवली का मतलब श्रृंखला है। इस पर्व को प्रकाश उत्सव पर्व भी कहा जाता है। दीपावली की शाम को यानि प्रदोषकाल के शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी,भगवान गणेश के साथ माता सरस्वती, धन के देवता कुबेर और मां काली की पूजा होती है। दिवाली की रात में पूजा में कोई कमी न रह जाए इसके लिए हम आपको पूजा की सरल और आसान विधि बता रहे हैं।
कैसे करे पूजा?
* स्नान करके पवित्र आसन पर बैठकर आचमन करें। फिर गणेशजी का स्मरण कर, अपने दाहिने हाथ में गन्ध, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, धन और जल आदि लेकर दीपावली महोत्सव के निमित्त गणेश, अम्बिका, महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली, कुबेर आदि देवी-देवताओं के पूजनार्थ संकल्प करें। संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए, ‘मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान और समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो’।
* सबसे पहले गणेश जी और गौरी का पूजन करिए। फिर कलश स्थापन, षोडशमातृका पूजन और नवग्रह पूजन करके महालक्ष्मी आदि देवी-देवताओं का पूजन करें। हाथ में थोड़ा- सा जल ले लें और भगवान का ध्यान करते हुए पूजा सामग्री चढ़ाएं।
हाथ में अक्षत और पुष्प ले लें। नवीन बही खातों पुस्तकों पर केसर युक्त चंदन से या
फिर लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए।
इसके बाद इनके ऊपर श्री गणेशाय नम: लिखना चाहिए।
जहां पर नवग्रह यंत्र बनाया गया है, वहां पर रुपया, सोना या चांदी का सिक्का,
लक्ष्मी जी
लक्ष्मी जी की मूर्ति या मिट्टी के बने हुए लक्ष्मी-गणेश, सरस्वती जी की मूर्तियां सजायें। कोई धातु की मूर्ति हो
तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध, दही ओर गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत,
चंदन का श्रृंगार करके फूल आदि से सजाएं।
इसके ही दाहिने और एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलायें, जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाता है।
दीपावली का विधिवत-पूजन करने के बाद घी का दीपक जलाकर महालक्ष्मी जी की आरती की जाती है।
आरती के लिए एक थाली में रोली से स्वास्तिक बनाएं।
उसमें कुछ अक्षत और पुष्प डालें, गाय के घी का चार मुखी दीपक चलायें
और मां लक्ष्मी की शंख, घंटी, डमरू आदि से आरती उतारें।