जय तेरी हो अस्कंध माता पांचवा नाम तुम्हारा आता सब के मन की जानन हारी जग जननी सब की महतारी तेरी ज्योत जलाता रहू मै हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै कई नामो से तुझे पुकारा मुझे एक है तेरा सहारा कही पहाड़ो पर है डेरा कई शेहरो मै तेरा बसेरा हर मंदिर मै तेरे नजारे गुण गाये तेरे भगत प्यारे भगति अपनी मुझे दिला दो शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो इन्दर आदी देवता मिल सारे करे पुकार तुम्हारे द्वारे दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये तुम ही खंडा हाथ उठाये दासो को सदा बचाने आई ‘भक्त’ की आस पुजाने आई