Home भक्ति धर्म मां कात्यायनी व्रत कथा।। Maa Katyayani Vrat Katha

मां कात्यायनी व्रत कथा।। Maa Katyayani Vrat Katha

मां कात्यायनी व्रत कथा

मां कात्यायनी व्रत कथा नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी की उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की । उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री की प्राप्ति हो। उनकी इसी इच्छा को पूर्ण करते हुए मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था।

इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। 

श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी।
यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी।
इसीलिए ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है।
ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं। 

Exit mobile version