चालीसाभक्ति धर्म कुबेर जी का चालीसा।। Lord Kuber Chalisa June 20, 2019 FacebookTwitterPinterestWhatsApp कुबेर जी का चालीसा मंत्र ॐ यक्षराजाय विद्महे । वै श्रवणाय धिमही । तन्नो कुबेर प्रचोदयात ॥ ॐ श्री कुबेराय नमः धनम् देहि देहि । रुणा पहारं कुरु कुरु स्वाहा । कुबेर जी का चालीसा दोहा जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर । ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे, अविचल खडे कुबेर । विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर । भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढेर ॥ पाठ जै जै जै श्री कुबेर भंडारी । धन माया के तुम अधिकारी ।। तप तेज पुंज निर्भय भय हारी । पवन बेग सम तनु बलधारी ।। स्वर्ग द्वार की करे पहरे दारी । सेवक इन्द्र देव के आज्ञा कारी ।। यक्ष यक्षणी की है सेना भारी । सेनापती बने युद्ध में धनुधारी ।। महा योद्धा बन शस्त्र धारै । युद्ध करै शत्रु को मारै ।। सदा विजयी कभी ना हारै । भगत जनों के संकट टारै ।। प्रपितामह हैं स्वयं विधाता । पुलिस्त वंश के जन्म विख्याता ।। विश्रवा पिता इडापिडा जी माता । विभिषण भगत आपके भ्राता ।। शिव चरणों में जब ध्यान लगाया । घोर तपस्या करी तन को सुखाया ।। शिव वरदान मिले देवत्व पाया । अम्रूत पान करी अमर हुई काया ।। धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में । देवी देवता सब फिरैं साख में ।। पीताम्बर वस्त्र पहरे गात में । बल शक्ति पुरी यक्ष जात में ।। स्वर्ण सिंघासन आप विराजैं । त्रशुल गदा हाथ में साजैं ।। शंख म्रुदंग नगारे बाजैं । गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ।। चौंसठ योगनी मंगल गावैं । रिद्धी सिद्धी नित भोग लगावैं ।। दास दासनी सिर छत्र फिरावैं । यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढुलावैं ।। रिषियों में जैसे परशुराम बली हैं । देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ।। पुरुषों में जैसे भीम बली हैं । यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ।। भगतों में जैसे प्रल्हाद बडे हैं । पक्षियो में जैसे गरुड बडे हैं ।। नागो मे जैसे शेष बडे हैं । वैसे ही भगत कुबेर बडे हैं ।। कांधे धनुष हा में भाला । गल फुलो की पहरी माला ।। स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला । दुर दुर तक होए उजाला ।। कुबेर देव को जो मन में धारे । सदा विजय हो कभी ना हारे ।। बिगडे काम बन जाए सारे । अन्न धन के रहे भरे भन्डारे ।। कुबेर गरीब को आप उभारैं । कर्ज को शीघ्र उतारैं ।। कुबेर भगत के संकट टारैं । शत्रु को क्षण में मारैं ।। शीघ्र धनी जो होना चाहए । क्युं नही यक्ष कुबेर मनाए ।। यह पाठ जो पढे पढाए । दिन दुगना व्यापार बढाए ।। भूत प्रेत को कुबेर भगावैं । अडे काम को कुबेर बनावैं ।। रोग शोक को कुबेर नशावैं । कलंक कोढ को कुबेर हटावैं ।। कुबेर चढे को और चढादे । गिरे को पुनः उठादे ।। कुबेर भाग्य को तुरन्त जगादे । भुले को राह बतादे ।। प्यासे की प्यास कुबेर बुझादे । भुखे की भुख कुबेर मिटादे ।। रोगी का रोग कुबेर घटादे । दुखिया क दुख कुबेर छुटादे ।। बांझ की गोद कुबेर भरादे । कारोबार को कुबेर बढादे ।। कारागार से कुबेर छुडादे । चोर ठगों से कुबेर बचादे ।। कोर्ट केस में कुबेर जितावैं । जो कुबेर को मन में ध्यावै ।। चुनाव में जीत कुबेर करावै । मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ।। पाठ करे जो नित मन लाई । उसकी कला हो सदा सवाई ।। जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई । उसका जीवन चले सुखदाई ।। जो कुबेर का पाठ करावै । उसका बेडा पार लगावै ।। उजडे घर को पुनः बसावै । शत्रु को भी मित्र बनावै ।। सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई । सब सुख भोग पदार्थ पाई ।। प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई । क्रुष्णदत्त कुबेर कीर्ती गाई ।। दोहा शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर । हिरदे मे ज्ञान प्रकाश भर, करदो दूर अंधेर ।। करदो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर । शरण पडा हुं आपकी, दया की द्रुष्टी फेर ।। हरी ॐ दया की द्रुष्टी फेर