आरतीभक्ति धर्म भगवान विष्णु आरती।। Bhagwan Vishnu Aarti June 21, 2019 FacebookTwitterPinterestWhatsApp भगवान विष्णु आरती भगवान विष्णु आरती –श्लोक शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् । लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् । आरती ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे। जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का। सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश हरे। मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी। स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति। किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे। दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय जगदीश हरे। विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश हरे। श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ॐ जय जगदीश हरे।