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इतिहास की हिचकिचाहट से उबरने का विश्वास भारत के लिए नए द्वार खोल रहा है्: विदेश मंत्री

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि इतिहास की हिचकिचाहटों से उबरने का विश्वास भारत के लिए नया द्वार खोल रहा है और देश ने पिछले कुछ साल में वैश्विक वार्ताओं में योगदान की बढ़ती क्षमता दिखाई है।जयशंकर ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बताया कि किस प्रकार भारत आतंकवाद के खिलाफ एकनिष्ठ अभियान से इस मुद्दे को विश्व मंचों पर केंद्र में लेकर आया और देश ने किस प्रकार संपर्क (कनेक्टिविटी) बहस को ‘‘आकार’’ दिया। उन्होंने कहा कि ‘‘भारतीय भूमिका’’ वैश्विक मंच पर विभिन्न तरीकों से नजर आती है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘राजनीतिक स्तर पर इतिहास की हिचकिचाहटों से उबरने के हमारे भरोसे ने नए द्वार खोले हैं। रणनीतिक स्पष्टता ने इसका अधिक प्रभावशाली तरीके से लाभ उठाने में मदद की है। समग्र रूप से, भारत का प्रभाव एवं भूमिका विभिन्न तरीकों से दिखाई देती है।’’ हालांकि जयशंकर ने ‘‘इतिहास की हिचकिचाहटों’’ के बारे में विस्तार से नहीं बताया। उन्होंने अंतररराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी संरचना के लिए गठबंधन जैसी भारत की पहलों का जिक्र करते हुए कहा कि अफ्रीका में देश के पदचिह्न स्पष्ट रूप से बढ़े हैं।

जयशंकर ने कहा, ‘‘कैरेबियाई से लेकर प्रशांत द्वीपों तक अहम वार्ता एवं मजबूत गठजोड़ हमें आगामी वर्षों में वैश्विक सोच के लिए तैयार करते हैं। भले ही दुनिया नए दशक की चौखट पर खड़ी है लेकिन भारत अपने स्वयं के विकास के नए चरण में प्रवेश करने को तैयार है।’’ विदेश मंत्री ने वैश्विक स्तर पर भू-राजनीति के बदलते आयाम पर कहा कि कारोबार, राजनीति एवं रणनीति के साथ विचारधाराओं, पहचान एवं इतिहास के घालमेल के खराब परिणाम निकलने की आशंका है। विदेश मंत्री ने वैश्विक स्तर पर अहम चुनौतियों की बात करते हुए कहा कि वैश्वीकरण के लाभ का गुणगान करने वाली पीढ़ी के बाद दुनिया अब कई मामलों पर ध्रुवीकृत बहस का सामना कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘न केवल परिदृश्य अधिक मुश्किल हो गया है बल्कि हितों का जुड़ाव भी चुनौती का सामना कर रहा है। केवल देशों के बीच ही प्रतिद्वंद्वता नहीं है, बल्कि उनके भीतर भी प्रतिद्वंद्वता है जो पुरानी व्यवस्था एवं उभरती व्यवस्था के बीच तनाव को दर्शाती है।’’जयशंकर ने कहा, ‘‘जब कारोबार, राजनीति एवं रणनीति के साथ विचारधाराओं, पहचान एवं इतिहास को मिलाया जाता है तो एक खतरनाक मिश्रण (कॉकटेल) तैयार हो सकता है, लेकिन इस समय संयमित वार्ता करने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों को लेकर कहा कि कनेक्टिविटी परियोजनाओं, तकनीक चयनों, सुरक्षा और डेटा सुरक्षा जैसे गैर व्यापारी क्षेत्रों के रणनीतिक संबंध भी हैं। जयशंकर ने कहा, ‘‘दरअसल, इसी कारण से हमने विदेश मंत्रालय में तकनीकी डिविजन शुरू की है।

’’ उन्होंने कहा कि आर्थिक पुनर्संतुलन अब इसकी राजनीतिक अभिव्यक्ति में बदलना शुरू हो गया है। जयशंकर ने कहा कि विशाल भूगोलों में बढ़ते राष्ट्रवाद के साथ विश्व में पुनर्संतुलन हो रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यवस्था भी बदल रही है और वह राष्ट्रवादी अमेरिका, उभरते चीन, विभाजित यूरोप, पुन: उभरते रूस, सामान्य होते जापान, असुरक्षित आसियान और अशांत पश्चिम एशिया के अनुसार ढलने के लिए संघर्ष कर रही है। जयशंकर ने कहा कि हालिया वर्षों में वैश्विक वार्ताओं में योगदान देने और अंतरराष्ट्रीय परिणामों पर असर डालने की भारत की क्षमता बढ़ी है।

मंत्री ने कहा कि भारत ने उस वक्त संचार (कनेक्टिविटी) संबंधी चर्चा को अहम आकार दिया जब पूरी दुनिया इसे लेकर संशय में थी और उसे कई परियोजनाओं से पुष्ट किया। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का एकनिष्ठ अभियान इस मुद्दे को जी-20 समेत अहम विश्व मंचों पर केंद्र में लेकर आया। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक समुद्री सुरक्षा की बात है तो भारत हिंद महासागर में एक अहम भागीदार के रूप में सामने आया है।’’

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