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कृषि कानून रद्द, अब आम जनता- व्यापारियों की समस्याओं पर लग सकता है फुल स्टॉप

कृषि कानून रद्द, अब आम जनता- व्यापारियों की समस्याओं पर लग सकता है फुल स्टॉप

नई दिल्ली- शुक्रवार गुरुनानक जी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल संसद में पास किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। पिछले एक साल से लगातार किसान इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे थे। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए कई किसान नेता हरियाणा, पंजाब, दिल्ली बॉर्डरों पर जगह-जगह चक्का जाम करकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। एक साल के दौरान कई किसानों की इस आंदोलन में मौत भी हो गई, तो वहीं किसानों के इस आंदोलन के दौरान पंजाब के कई व्यापारियों के व्यापार ठप हो गए, फैक्ट्रियां बंद हो गई, कई मजदूर-कारीगर बेरोजगार हो गए, साथ ही दिल्ली-बॉर्डरों पर जिन दुकानदारों की दुकानें थी, उन्हें भी इस आंदोलन के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ा।

एक साल के दौरान लाल किला, फिरोजपुर, टिकरी बॉर्डर हिंसा जैसे कई बार देश में हिंसात्मक आंदोलन भी हुए, नौकरीपेशा लोगों को घंटों जाम में फंसना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट में चक्का जाम, हिंसा जैसे कई अर्जियां दायर की गई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को जल्द किसान आंदोलन खत्म करने के आदेश दिए। फिलहाल एक साल होने के बाद मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर दिया है। गुरुनानक जी की जयंती पर देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वे कई किसानों को कृषि कानूनों के फायदों के बारे में समझा नहीं पाये, इसलिए ये तीनों कानून हमारी सरकार वापस लेती है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि एमएसपी (Minimum Support Price) के लिए भी जल्द ही एक समिति बनाई जाएगी, जो एमएसपी की नीतियों को बेहतर करने के लिए कार्य करेगी। पर तीनों कानूनों के रद्द होने के बावजूद किसान नेता बॉर्डरों से हटने को तैयार नहीं है। अब किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें एमएसपी पर गारंटी चाहिए और तीन कृषि कानूनों को संसद में रद्द होने के बाद ही वे घर जाएंगें।

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