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सरकारी नौकरी में पदोन्नति आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मायावती ने किया स्वागत

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सरकारी नौकरी के अंतर्गत पदोन्नति में आरक्षण का रस्ता साफ कर दिया है। कोर्ट मे कहा है कि आंकड़े उपलब्ध होने के बाद राज्य सरकारें आरक्षण के बारे में सोच सकती हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकारें आरक्षण देने के लिए वर्गों का पिछड़ापन निर्धारण, नौकरी में उनके प्रतिनिधित्व कमी , संविधान के अनुच्छेद 335 का अनुपालन जैसे कारकों को मद्देनजर रखते हुए नीति निर्धारित कर सकती हैं।

अनुसूचित जाति-जनजाति के कर्मचारियों से संबंधित प्रमोशन में आरक्षण मामले में कोर्ट के इस फैसले का बसपा सुप्रीमो मायावती ने स्वागत किया है।

मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कुछ हद तक स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा​ कि कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण पर रोक नहीं लगाई है और साफ कहा है कि केंद्र या राज्य सरकार इस पर फैसला लें. उन्होंने कहा कि बसपा की मांग है कि सरकार प्रमोशन में आरक्षण को तुरंत लागू करे.
मायावती ने कहा कि,”कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण पर रोक नहीं लगाई है और केन्द्र या राज्य सरकारों को इस मामले में जल्द कार्यवाही करते हुए प्रमोशन में आरक्षण तुरंत लागू करना चाहिए।”

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नागराज मामले के फैसले को कुछ बदलावों के साथ बरकरार रखा है. कोर्ट ने कहा कि इस पर फिर से विचार करना जरूरी नहीं और न ही आंकड़े जुटाने की जरूरत है. जबकि 2006 में नागराज मामले में कोर्ट ने शर्त लगाई थी कि प्रमोशन में आरक्षण से पहले यह देखना होगा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं।

मायावती प्रमोशन में आरक्षण की मांग लगातार करती रही हैं. जबकि 2011 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। इसके बावजूद भी यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने दलित समुदाय को प्रमोशन में आरक्षण दिया था।

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