बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने उस वक्त एक उपलब्धि हासिल की जब एमवी राम प्रसाद बिस्मिल ब्रह्मपुत्र पर जाने वाला अब तक का सबसे लंबा जहाज बन गया। 90 मीटर लंबा बेड़ा 26 मीटर चौड़ा और 2.1 मीटर गहरा है। इसके साथ ही इसने गुवाहाटी के पांडु बंदरगाह पर लंगर डालने के बाद कोलकाता में हल्दिया गोदी से भारी माल ढुलाई के महत्वाकांक्षी परीक्षण को आज सफलतापूर्वक पूरा किया। केन्द्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग (पीएसडब्ल्यू) और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हल्दिया में श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह से दो जहाजों – डीबी कल्पना चावला और डीबी एपीजे अब्दुल कलाम के साथ हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस प्रारंभिक कार्य का महत्व इसलिए है क्योंकि यह भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग (आईबीआरपी) के रास्ते कोलकाता से गुवाहाटी तक माल लादने का कार्य शुरू करने के लिए मार्ग बताता है। जमशेदपुर में टाटा स्टील से 1,793 मीट्रिक टन स्टील रॉड से लदी इस खेप को 2.0 मीटर की गहराई की आवश्यकता थी। इस ऐतिहासिक खेप के डिजाइन और मशीनरी को तैयार करते समय कम-से-कम 2.0 मीटर की गहराई दी गई, इसके लिए खासतौर से आईबीपीआर के सिराजगंज-दाइकोवा खंड जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों को ध्यान में रखा गया।
दिल्ली से अपनी बात कहते हुए, केन्द्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना भारत के विकास इंजन को शक्ति प्रदान करने के लिए पूर्वोत्तर की अष्टलक्ष्मी क्षमता को सक्रिय करना है। ‘परिवहन के माध्यम से परिवर्तन’ की उनकी परिकल्पना के तहत, हमने क्षेत्र में जल परिवहन को फिर से जीवंत करने के लिए अथक प्रयास किया। यह न केवल परिवहन का सबसे सस्ता और पर्यावरण की दृष्टि से सबसे अनुकूल तरीका है, यह पूर्वोत्तर के व्यापार को समुद्री नेटवर्क के रास्ते शेष दुनिया से जोड़ने की भी अनुमति देता है। चूंकि ब्रह्मपुत्र पर चलने वाले इस सबसे लंबे जहाज का परीक्षण आज पांडु में सफल रहा है, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि टीम ने कई हिस्सों में चुनौतीपूर्ण गहराई तैयार करने के दौरान काम में आने लायक एक मार्ग तैयार किया। हम असम में जल परिवहन की व्यावसायिक व्यवहार्यता लाने और पूर्वोत्तर भारत के आर्थिक भविष्य के रूप में ब्रह्मपुत्र की जीवन शक्ति को फिर से जीवंत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि पिछले दो वित्तीय वर्षों यानी वित्त वर्ष 2019-20 और वित्त वर्ष 2020-21 के लिए धुबरी और पांडु के बीच ब्रह्मपुत्र में न्यूनतम उपलब्ध गहराई 2.2 मीटर थी। हाल की एलएडी रिपोर्ट के अनुसार, यह गहराई जनवरी, 2022 में और कम होकर 1.5 मीटर तक आ गई। चिलमारी से दाइखावा तक, बिटवा ने 2.2 मीटर की आवश्यक गहराई की पुष्टि की।
इससे पहले एमवी लाल बहादुर शास्त्री ने पटना से पांडु तक भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए 200 मीट्रिक टन खाद्यान्न की एक खेप को गंगा, राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (एनडब्ल्यू 1) और ब्रह्मपुत्र राष्ट्रीय जलमार्ग 2 (एनडब्ल्यू2) के बीच माल की ढुलाई के परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया था। इसके अलावा, नुमालीगढ़ रिफाइनरी के लिए एक ओवर डायमेंशनल कार्गो (ओडीसी) को भी पहले आईबीपीआर के माध्यम से एनडब्ल्यू2 पर ले जाया गया था।