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Kisan Andolan: किसान यूनियनों ने क्यों किया CAA, NRC, NPR और 370 के मुद्दे पर मोदी सरकार का विरोध ? क्या दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के नाम पर शाहीन बाग पार्ट -2 चल रहा है ?

 किसान यूनियनों ने क्यों किया CAA, NRC, NPR और 370 के मुद्दे पर मोदी सरकार का विरोध ? क्या दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के नाम पर शाहीन बाग पार्ट -2 चल रहा है ?

 किसान यूनियनों ने क्यों किया CAA, NRC, NPR और 370 के मुद्दे – किसान आदोंलन की भीड़ दिल्ली पहुंची तो शरजील इमाम जैसे कैद में बंद लोगों को रिहा करवाने की मांग उठी, बीजेपी ने आरोप लगाए, कि ये वही भीड़ है, जिसने शाहीन बाग में प्रदर्शन किया था। तफ्तीश बताती है कि किसान आंदोलन में जुड़ी ज्यादातर यूनियनों ने पंजाब से लेकर शाहीन बाग पर CAA, NRC और NPR के मुद्दे पर मोदी सरकार का ना सिर्फ विरोध किया था बल्कि शाहीन बाग में प्रदर्शन के लिए भी किसान यूनियनें बड़ी मात्रा में पहुंची थीं।

Kisan Andolan: किसान यूनियनों ने क्यों किया CAA, NRC, NPR और 370 के मुद्दे पर मोदी सरकार का विरोध ? क्या दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के नाम पर शाहीन बाग पार्ट -2 चल रहा है ?

2019-20 के दौरान मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए CAA, NRC और लागू होने वाले NPR के मुद्दे पर मोदी सरकार का विरोध करने और काले कानून वापस लेने  के मुद्दे पर आंदोलनकारी जुटे तो इनमें पंजाब की किसान यूनियनें भी शामिल थीं। पंजाब की किसान यूनियनों ने न सिर्फ शाहीन बाग में आंदोलन और धरने में हिस्सा लिया,
बल्कि उन्होंने पंजाब में गांव गांव घूमकर मोदी सरकार के विरोध में सीएए,
एनआरसी और एनपीआर को रद्द करवाने के लिए जनता को समझाने की कोशिश भी की।

Anti CAA Protest में पंजाब और किसान यूनियनों की भूमिका

ऑल इंडिया किसान सभा जो कि सीपीआई एम का अंग है, उन्होंने दिल्ली समेत पूरे देश में एंटी सीएए और एनआरसी की सभाएं कीं। जहां दिल्ली में वीजू कृष्णन जैसे वामपंथी किसान नेताओं ने सभाएं कीं, वहीं पंजाब में भी ऑल इंडिया किसान सभा से जुड़े किसान संगठनों ने घूम घूमकर मोदी विरोध में और कानून के विरोध में प्रचार प्रसार करने के लिए आंदोलन और प्रदर्शन किए।

12 किसान यूनियनों ने मलेरकोटला एंटी सीएए आंदोलन में हिस्सा लिया

16, फरवरी, 2020 को पंजाब के मुस्लिम बहुल इलाके मलेरकोटला (जिसे अब मुस्लिमबहुल होने की वजह से पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ईद के मौके पर अलग जिला घोषित कर दिया है) में मोदी सरकार के विरोध में एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया, इस सभा का मुख्य मुद्दा केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर CAA, NRC और NPR के कानूनों का विरोध कर उन्हें लागू होने से रोकना था। इस रैली में मलेरकोटला में भारी संख्या में जो भीड़ जुटी उसमें सबसे बड़ा योगदान पंजाब की किसान समीतियों, संगठनों और यूनियनों का था। मंच पर भी पंजाब के किसान संगठनों के नेता बोलते हुए सुनाई पड़े और इलाके में हुए प्रदर्शन के दौरान भी जोगिन्दर सिंह उग्राहां जैसे नेता खासतौर पर महिला प्रदर्शनकारियों के साथ दिखलाई पड़े।

मलेरकोटला में हुए इस आंदोलन के लिए भी लंगर गुरुद्वारों और किसान यूनियनों द्वारा लगाया गया था

भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) ने किया CAA, NRC और 370 का विरोध

भारतीय किसान यूनियन उग्राहां ने भी साल 2020 में पंजाब और दिल्ली में Anti CAA, NRC वाले आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था।
किसान नेता जोगिन्दर उग्राहां ने मलेरकोटला में मोदी सरकार से खिलाफ अभियान छेड़ा और फिर बाद में पूरे पंजाब में घूम घूमकर अलग अलग जगहों पर धरना प्रदर्शन किया।
शाहीन बाग में भी जोगिन्दर उग्राहां अपनी बड़ी किसानों की भीड़ को लेकर शामिल हुए थे।

मोदी विरोधी CAA, NRC और धारा 370 वाले आंदोलन में पंजाब खेत मजूदर यूनियन की भूमिका

मलेरकोटला में हुए एंटी सीएए प्रोटेस्ट में पंजाब खेत मजदूर यूनियन के लक्ष्मण सिंह सेवावाला ने मोदी सरकार के द्वारा लाग किए जा रहे CAA, NRC के विरोध में बड़े आंदोलन का ऐलान किया, उन्होंने कहा कि 24 से 29 फरवरी को पंजाब में लागू नहीं होने देंगे।
किसान यूनियन के नेता लक्ष्मण सिंह ने ये भी कहा
कि वो किसी भी कीमत पर कश्मीर से धारा 370 हटाने का भी विरोध करते हैं
और शांतिपूर्वक ना बैठकर मोदी सरकार का विरोध करेंगे।

पंजाब के ज्यादातर जिलों में शाहीन बाग के समर्थन में थे किसान नेता और यूनियनें

2020 में शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के समर्थन में और मोदी सरकार के विरोध में पंजाब में किसान यूनियनों ने खूब जोर आजमाईश की। रिपोर्ट्स बताती हैं कि फरवरी के महीने में पंजाब के 15 से ज्यादा जिलों में जो एंटी सीएएए और एंटी मोदी सरकार आंदोलन हुए,
उन्हें किसी और ने नहीं बल्कि पंजाब की किसान यूनियनों ने ही आयोजित किया था।

जाहिर है कि जो किसान यूनियनें अरसे से CAA, NRC और धारा 370 के मुद्दे पर
मोदी सरकार का विरोध कर रही हों, तो जब वो दिल्ली पहुंची
तो उन्होंने इन्हें भी हटवाने की मांगे कृषि कानूनों के एजेंडे में शामिल कर दीं।
जोगिन्द्र उग्राहां जैसे भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने तो शरजील इमाम जैसे देशविरोधी बयानों के लिए जेल में बंद,
आंदोलनकारियों को इंटेलेक्चुल बताकर उनकी रिहाई की मांगें भी कीं।
लेकिन जल्द ही संयुक्त किसान मोर्चा ने चाहकर भी
इन मुद्दों को अपने चार्टर से हटा लिया,
ताकि मुद्दा और आंदोलन पूर्ण रूप से किसानों का ही दिखे और लगे।

किसान नेता राकेश टिकैत भी बोल पड़ते हैं शाहीन बाग वाली मांगें

किसान आंदोलन में चाहे जो भी नेता हों उनका कहीं ना कहीं शाहीन बाग कनेक्शन जरुर दिखता है।
जाट किसान नेता राकेश टिकैत ने भी जब कश्मीर से धारा 370 हटवाने का विरोध किया तो सवाल उठने लाजमी हैं
कि क्या ये आंदोलन शाहीन बाग पार्ट टू तो नहीं ?

 

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