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जयशंकर ने भू-राजनीति के स्वभाव में बदलाव पर कहा: संयमित वार्ता की है आवश्यकता

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक स्तर पर भू-राजनीति के बदलते आयाम पर सोमवार को कहा कि कारोबार, राजनीति एवं रणनीति के साथ विचारधाराओं, पहचान एवं इतिहास के घालमेल के खराब परिणाम निकलने की आशंका है। जयशंकर ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हालिया वर्षों में वैश्विक वार्ताओं में योगदान देने और अंतराष्ट्रीय परिणामों पर असर डालने की भारत की क्षमता बढ़ी है।

मंत्री ने कहा कि भारत ने उस वक्त संचार (कनेक्टिविटी) संबंधी चर्चा को अहम आकार दिया जब पूरी दुनिया इसे लेकर संशय में थी और उसे कई परियोजनाओं से पुष्ट किया। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का एकनिष्ठ अभियान इस मुद्दे को जी-20 समेत अहम विश्व मंचों पर केंद्र में लेकर आया। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक समुद्री सुरक्षा की बात है तो भारत हिंद महासागर में एक अहम भागीदार के रूप में सामने आया है।’’ विदेश मंत्री ने वैश्विक स्तर पर अहम चुनौतियों की बात करते हुए कहा कि वैश्वीकरण के लाभ का गुणगान करने वाली पीढ़ी के बाद दुनिया अब कई मामलों पर ध्रुवीकृत बहस का सामना कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘न केवल परिदृश्य अधिक मुश्किल हो गया है बल्कि हितों का जुड़ाव भी चुनौती का सामना कर रहा है। केवल देशों के बीच ही प्रतिद्वंद्वता नहीं है, बल्कि उनके भीतर भी प्रतिद्वंद्वता है जो पुरानी व्यवस्था एवं उभरती व्यवस्था के बीच तनाव को दर्शाती है।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘जब कारोबार, राजनीति एवं रणनीति के साथ विचारधाराओं, पहचान एवं इतिहास को मिलाया जाता है तो एक खबरनाक मिश्रण (कॉकटेल) तैयार हो सकता है, लेकिन इस समय संयमित वार्ता करने की आवश्यकता है।’’

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