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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, बोले- गीता में है हर समस्या का हल

हरियाणा के कुरूक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा गीता में है हर समस्या का हल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2014 में आये तो उन्होंने देखा कि हमारे भारत का जो पूर्वी भाग है वह उतना विकसित नहीं है जितनी दूसरी जगह है। उन्होंने कहा कि पूर्व की ओर देखो, पूर्व की ओर काम करो। लुक ईस्ट नीति की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी, मैं 1989 में लोकसभा के लिए चुना गया था और तब मुझे केंद्रीय मंत्री होने का सौभाग्य मिला था, आपने इसमें एक नया आयाम जोड़ दिया। आज का दिन जो आपका राज्य भागीदार है असम, वह उत्तर पूर्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। असम की भागीदारी एक बहुत ही मूल्यवान महत्वपूर्ण विकास है और यह दुनिया के उस हिस्से में गीता के बारे में स्थिति को उत्प्रेरित करेगी जहां इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने इतनी पीड़ा कभी नहीं देखी है जो आज देख रही है। दुनिया में दो बड़े टकराव चल रहे हैं, हम ज्वालामुखी के ढेर पर बैठे हैं। गीता आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गई है।

जब दुनिया के सामने दो बड़े मुद्दे थे तो प्रधानमंत्री जी ने गीता से मार्गदर्शन लेते हुए कहा, संवाद और कूटनीति के जरिए युद्ध टालने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। गीता में प्रकाष्ठा पर था, यह भूमि साक्षी है इसकी। युद्ध न हो, इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन एक बार जब यह अपरिहार्य हो जाता है तो भगवान श्री कृष्ण ने भी ज्ञान दिया, वह ज्ञान अर्जुन को दिया जिस पर आज हमकों सोचने की आवश्यकता है!

भारतवर्ष की जो प्रजेंट गवर्नेंस है उसको मैं “गीता गवर्नेंस” कह सकता हूं भगवान श्री कृष्ण ने कहा अर्जुन आपके सामने कौन है रिश्तेदार होंगे,जानकार होंगे, गुरुजन होंगे, प्रियजन होंगे, मित्र होंगे पथ भ्रष्ट मत हो, कर्तव्य को मत छोड़ो कर्तव्य को करते रहो भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज यही कर रहे है।

आज के दिन हम सर ऊंचा करके कह सकते हैं गीता गवर्नेंस है सब कानून के सामने बराबर है! कानून का नोटिस मिले तो कानूनी प्रक्रिया अपनाओ यह जो संस्कृति बनी है कि अगर कानून का नोटिस मिले तो हम सड़क पर आ जाएंगे भारत की संस्कृति नहीं है, यह गीता का सार नहीं है, यह हमारे संविधान की सोच नहीं है, इसीलिए मैं कहता हूं, यह कार्यक्रम हो रहा है 2016 से, यह कार्यक्रम व्यापक हो रहा है, इसे और अधिक विस्तारित करने की आवश्यकता है।

भारत के संविधान का जब निर्माण हो रहा था और जो लघुचित्र हैं संविधान के अंदर, उनमें गीता की बात हैं, उनमें भगवान श्री कृष्ण हैं। मैं तो कई बार सोचता हूं कि आजादी के बाद हमारे संविधान में कई नए खंड जुड़े हुए हैं जैसे भाग 9 और 9ए (पंचायती राज और नगर पालिका), उन पर कोई लघुचित्र नहीं है क्योंकि लघुचित्र के नाम पर आज एक होना मुश्किल है। हम बहुत विभाजनकारी हैं, लेकिन गीता हमें एकता सिखाती है!

यह एक सुखद संयोग है कि आपके विचार-विमर्श दुनिया के हर कोने तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है; यह हमारे कार्यालय, हमारे शयनकक्षों में प्रवेश कर गया है। मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियां, आपको जानकर अच्छा लगेगा कि पहले हम इंतजार करते थे टेक्नोलॉजी का विकास कहीं होगा, फिर वह लोग बना लेंगे, फिर हम उनसे खरीद लेंगे, वह अपनी कीमत पर भेजेंगे अपने समय पर भेजेंगे, और उतना ही कंट्रोल करेंगे जितना वह कर सकते हैं

आज भारत दुनिया के गिने-चुने देशों में है जो इन टेक्नोलॉजी पर बहुत तीव्रता से काम कर रहा है, क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए 6000 करोड़ का बजट दिया गया है, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19000 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। हमारे लिए 5जी और 6जी फोन तक सीमित हैं, हमारी युवा पीढ़ी इसकी अपार शक्ति को जानती है, भारत उन गिने चुने देशों में है, जिसने 6जी के विकास को दो खंडों में बाँटा है, 2025 से 2030 तक सेकंड खंड में है, वह इसका व्यावसायीकरण है क्रांति आ जाएगी मशीनी झुकाव वाले शब्दों पर मत जाइए, आजकल एक छोटी सी खबर चिंगारी की तरह फैल जाती है, मिनट में लाखों रिएक्शंस आ जाते हैं। मशीन लर्निंग एक ऐसी तकनीक है जो क्रिस्टलाइज कर सकती है, विभाजित कर सकती है।

मेरे कहने का मतलब यह है कि अगर गीता के सार को यदि अगर नहीं मानेंगे, मोह पर जाएंगे, एक दूसरे के हित को देखने लगेंगे तो फिर हम भटक जाएंगे। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि कर्म करो, कर्म करते रहो फल आएगा पर फल को दृष्टि में रखकर कर्म मत करो, क्योंकि आप फल को दृष्टि में रखकर, उसे प्राप्त करने के लिए कर्म करोगे, तुम सत्य के मार्ग से भटक जाओगे, मुझे यकीन है ऐसा नहीं होना चाहिए!

गीता एक अद्भुत ग्रन्थ है, धार्मिक ग्रन्थ है, नैतिक ग्रन्थ है, जीवन दर्शन का ग्रन्थ है! हर समस्या का समाधान देता है अपने को अंदर से मजबूती देता है। यह हमारे अंदर कर्म ही पूजा है की भावना पैदा करता है, हमें इसे उत्कृष्टता और आध्यात्मिकता के साथ करना चाहिए, हमें इसे केवल हमारे लिए नहीं बल्कि सभी के लिए करना चाहिए।

हमारा G-20 साधारण G-20 नहीं था. G-20 की उपस्थिति हर राज्य, हर केंद्र शासित प्रदेश, भारत में 60 स्थानों, 200 इंटरैक्शन में थी.. उनके अंदर क्या संदेश गया? भारत के प्रधानमंत्री ने बहुत बड़ा कदम उठाया वसुधैव कुटुंबकम को उन्होंने दुनिया के पटल पर रखा, उसे प्रधानमंत्री ने रखा, जिसने देश को योग दिवस दिया, 21 जून को हर साल मनाया जाता है। उस महान व्यक्तित्व ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर प्रभाव डाला अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष, मोटे अनाज के बारे में उन्होंने दुनिया को संदेश दिया, वसुधैव कुटुंबकम का, जी-20 की थीम थी, “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य”

मैं कुरुक्षेत्र में हूं, गीता का ज्ञान यहां से शुरू होता है। जब 130 करोड़ से ज्यादा की जनता कोविड की चुनौती का सामना कर रही थी, उस समय भी भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के आदर्श को सामने रखते हुए दुनिया के 100 देशों को वैक्सीन भेजकर मदद की।

यह वसुधैव कुटुंबकम का ही आदर्श है कि प्रधानमंत्री ने अफ्रीकन यूनियन को G-20 का सदस्य बनवाया। गीता कहती है कि समावेशी रहिए। औपनिवेशिकता का दंश झेले हुए अफ्रीकन यूनियन को विकसित देशों के बराबर लाकर बिठाना भारत के प्रधानमंत्री जी की कूटनीति का बहुत बड़ा प्रमाण है।

दुनिया में एक बहुत बड़े देश का समूह कहा जाता है ‘ग्लोबल साउथ’ पहले किसी ने नाम ही नहीं सुना था और ये दुनिया की ⅔ जीडीपी का योगदान करते हैं, भारत उनकी आवाज बन गया, क्योंकि यह भी गीता का सार है, मेरा आपसे यही कहना है कि जब हमारे पास इतनी बड़ी पूंजी है तो हमें उसका उपयोग करना चाहिए अनुसरण करना चाहिए प्रकाश लेना चाहिए क्योंकि गीता में जीवन के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है जो बहुत आध्यात्मिक है और आपको आत्मा परमात्मा भक्ति जीवन के प्रतिबिंब मिलेंगे।

यहां आकर मुझे एक बात और लगी कि आज के दिन कि भारत की विकास यात्रा एक बहुत बड़ा महायज्ञ है। इस महायज्ञ को संपूर्ण करने के लिए हर भारतीय की आहुति की आवश्यकता है उनको इसमें आहुति जरूर देनी चाहिए और वह सक्षम हैं।

आज के दिन हर भारतीय को एक संकल्प लेना चाहिए, मैं हमेशा अपने राष्ट्र को सबसे पहले रखूँगा, जैसा कि गीता में कहा गया था कि धर्म के पथ से कभी विचलित नहीं होंगे, यह विकल्प नहीं है, यह संवैधानिक जनादेश है, हमारे सभ्यतागत लोकाचार का निष्कर्ष है, हम हमेशा अपने राष्ट्र पर विश्वास करेंगे, हम इस राष्ट्र के गौरवान्वित नागरिक हैं और इसकी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर हमें गर्व है।

मैंने स्वयं देखा है 1989 का क्या हाल था लोकसभा में था! 1990 का क्या हाल था, मैं केंद्र में मंत्री था सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश अपने सोने को हवाई जहाज से स्विट्जरलैंड के दो बैंकों में गिरवी रखना पड़ा, हमारा फॉरेन एक्सचेंज एक या दो बिलियन के बीच में झूल रहा था. मैंने आज ही प्रातः खबर ली है कि पिछले चार से पांच दिन में चार बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है हमारा रिजर्व 600 बिलियन से ज्यादा है यह सब एक ही बात से है कि जो गत वर्षो से हमारी शासन व्यवस्था है उसको आप गीता प्रशासन कह सकते हो पहले क्या होता था, हम बैकफुट पर रहते थे. रूढ़िवादी कहते थे लोग, लेकिन आज, कितना फ़ायदा है कि हमारे द्वारा बनाया गया तंत्र यूपीआई , सिंगापुर और बाक़ी देश फ़ॉलो कर रहे हैं। हमारे लोगों की प्रतिभा का अंदाजा लगाइए, की 60 के दशक में हमारा सैटेलाइट जब पहली बार लॉन्च हुआ, तो वह किसी और की मशीन पर हुआ। आज हम लॉन्च करते हैं सैटेलाइट यूएसए, यूके, सिंगापुर के भी लॉन्च किए, यह हमारी उपलब्धि है। आज के दिन हम दुनिया के अग्रणी देशों में हैं- सोच में।

हम में से कुछ सुजनित तरीकों से या ना समझी की वजह से राष्ट्रविरोधी आख्यानों को फैलाने में आनंद मिलता है, ऐसा नहीं होना चाहिए। यह एक कोविड वायरस है जिसे समय रहते निष्क्रिय करना होगा

गीता आपको क्या देती है मैं आपको एक छोटी सी कहानी बताकर समाप्त करता हूं, एक बूढ़ी महिला थी, अंधी थी, बीमार थी, जवान बेटा था और जवान बेटा कमाई नहीं कर रहा था और उसकी शादी भी नहीं हुई थी।

वह संकटों से पूरी तरह घिरी हुई थी और असहाय महसूस कर रही थी, उसको रास्ता नहीं दिख रहा था। ऐसे हालात थे जो अपने देश में 10 साल पहले थे, निराशा में डूबी हुई थी, भ्रष्टाचार का बोलबाला था, पारदर्शिता दूर तक नहीं थी, संरक्षक की चलती थी, ऐसा ही उस महिला के सामने था, भगवान प्रकट हुए थे और कहा कि एक वचन मांगो?

क्या वह अपनी आंख मांगे, क्या वह अपना स्वास्थ्य मांगे? क्या वह बेटे की नौकरी मांगे? क्या वह बेटे की शादी मांगे? उस महिला के सामने गीता का ज्ञान आया और उसने कहा सोने की थाली में पोते को हंसता खेलता दिखा दे।

आज हमारे देश का यही हाल है। हम एक विश्व शक्ति हैं, हम शांति के लिए खड़े हैं, हम सद्भाव के लिए खड़े हैं, हम वैश्विक स्थिरता के लिए खड़े हैं, हम 2047 में अपने भारत को शिखर पर ले जाना चाहते हैं। हमारा अमृत काल हर दृष्टि से हर मानक पर हमारा गौरवकाल है और हमें प्रसन्न होना चाहिए।

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पिछली बार मैं जब हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी गया तो एक वाकया हुआ, मेरी जाति के एक बुजुर्ग और उनकी धर्मपत्नी ने कहा, मुझे मोदी से मिला दो। मैंने पूछा कि मोदी जी से मिलकर क्या करोगे? वह बोले कि पूछेंगे कि आपको ढूंढा कैसे उन्होंने?

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