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5 साल बाद मार्च में दिल्ली में इतना प्रदूषण

दिल्ली में वैसे तो प्रदूषण बढ़ते जा रहा है पर इस बार 5 साल बाद राजधानी में मार्च में इतना प्रदूषण झेल रही है। इसके बावजूद डीजल जनरेटरों पर लगी रोक को हटाया जा चुका है। इन सबके बीच अब पांच महीने पहले दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण को कम करने के लिए गठित कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी फॉर दिल्ली एंड एनसीआर भंग हो गया।

केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश के तहत, पिछले साल अक्टूबर में इस आयोग का गठन किया था। अध्यादेश की अवधि समाप्त होने के साथ ही यह भंग हो गया है। इस आयोग के अध्यक्ष पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पूर्व सचिव एमएम कुट्टी को बनाया गया था। मिली जानकारी के अनुसार, अध्यादेश को कानून का रूप देने के लिए संसद का सत्र शुरू होने के छह हफ्ते के भीतर इसे सदन में पेश नहीं किया जा सका। इसलिए इसकी वैधता समाप्त हो गई है और आयोग भंग हो गया है। अब संसद के अगले सत्र में इस विधेयक को पेश करने की बात कही जा रही है। इस बीच सीपीसीबी को प्रदूषण को कम करने का काम दिया गया है। आयोग को यह अधिकार दिए गए थे कि प्रदूषण से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर पांच साल की जेल और एक करोड़ का जुर्माना किया जा सके।हर साल दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण काफी कम हो जाता है। फरवरी के अंतिम दिनों में ही राजधानी साफ होने लगी है। जिसकी वजह से सर्दियों में डीजल जनरेटरों पर लगी रोक को भी फरवरी में ही हटा लिया जाता था। लेकिन इस बार यह 5 मार्च को हटी। इसके बावजूद अब तक भी प्रदूषण राजधानी वालों को झेलना पड़ रहा है। 2020 का मार्च 2016 के बाद से अब तक का सबसे साफ मार्च था। जबकि 2016 के बाद 2021 दूसरा सबसे प्रदूषित मार्च है।

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