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अगस्ता मामला : रक्षा मंत्री से अधिक जानता था मिशेल। हर फाइल पर थी पैनी नज़र।

 अगस्ता मामले में आरोपी ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल ने पूरे सरकार को अपने इशारों पर चलाने की कोशिश की थी। जिससे कि वह एंग्लो-इटली कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड (अब लियोनार्डो) से वीवीआईपी चॉपर डील को अपनी मंजूरी दे पाए।

सीबीआई को जांच के दौरान एक फैक्स मेसेज के जरिए मालूम चला था कि जो मिशेल ने उस समय अगस्ता-वेस्टलैंड के इंटरनेशनल बिजनस के वाइस प्रेजिडेंट जियाकोमो सैपोनारो को जनवरी 2010 में भेजा गया था। इस फैक्स मेसेज में मिशेल ने दावा किया था कि वह उस समय के फाइनैंस सेक्रटरी के दबाव से बाहर आ गया है। मिशेल ने दावा किया था कि भारतीय वायुसेना को बेचे जाने 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर्स में यूएस और रूस की कंपनियों को पीछे छोड़ने के लिए सरकार को अपने समर्थन में करना होगा।

खबरों के मुताबिक मिशेल ने अगस्ता वेस्टलैंड के अपने मालिकों को इस बात कि जानकारी पहले ही दे दी थी कि उसने ‘बहुत ऊंची पहुंच’ के जरिए सभी समस्याओं को दूर करने के बाद यह डील कराई है। मिशेल ने जियाकोमो सैपोनारो को जानकारी दी थी कि रूस और अमेरिका के दबाव के बावजूद कैबिनेट उनके समर्थन में कॉन्ट्रैक्ट को मंजूरी दे देगी। 18 जनवरी 2010 को कांग्रेस की नेतृत्व वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी ने 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर्स के मामले में अगस्ता वेस्टलैंड के सौदे को मंजूरी दी थी।

मिशेल ने जांच के दौरान कहा कि उस समय के फाइनैंस सेक्रटरी के रशियन लॉबी के साथ बहुत मजबूत संबंध थे और वह अगस्ता की डील को सपॉर्ट नहीं करने के संकेत दे रहे थे। मिशेल पर आरोप है कि उसने इस डील के लिए कई भारतीय राजनेताओं, ब्यूरोक्रैट्स और वायुसेना अधिकारियों को रिश्वत दी थी। मिशेल ने सैपोनारो को बताया कि फाइनैंस सेक्रटरी ने इस मामले पर अपने मंत्री से बात नहीं की थी और वह इस फाइल को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी में जाने से रोकना चाहते थे।

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