आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस को 77 साल बाद इंसाफ, जन्मदिन पर होगी राष्ट्रीय छुट्टी

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केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस को लेकर बड़ा फैसला किया है। देश में अब गणतंत्र दिवस के जश्न की शुरुआत 24 जनवरी की जगह 23 जनवरी से होगी। सरकार ने यह कदम सुभाष चंद्र बोस की जयंती को गणतंत्र दिवस के जश्न में शामिल करने के लिए उठाया है। 

दरसल अभी तक हर साल देश में गणतंत्र दिवस से संबंधित सभी रंगारंग कार्यक्रम व जश्न मनाने की शुरुआत 24 जनवरी से होती थी, लेकिन केंद्र सरकार ने 23 जनवरी से जश्न मनाने की शुरुआत करने का फैसला किया है। बताया गया है कि सरकार ने यह कदम सुभाष चंद्र बोस की जयंती को भी गणतंत्र दिवस के जश्न में शामिल करने के लिए उठाया है। सुभाष चन्द्र बोस भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। मोदी सरकार का यह फैसला भारत के इतिहास और संस्कृति से जुड़ी बड़ी हस्तियों को याद करने के लिहाज से उठाया गया है। सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। गौरतलब है कि भाजपा सरकार पहले भी कई तारीखों को राष्ट्रीय महत्ता के दिवस के तौर पर घोषित कर चुकी है। इनमें 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, 31 अक्तूबर को सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस, 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस और 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर घोषित कर चुके हैं।

कौन थे सुभाष चंद्र बोस

आपको बता दें कि 23 जनवरी को वीर स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती होती है, इसलिए अब देश में सुभाष चंद्र बोस की जयंती के दिन से गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया जाएगा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था।

सुभाष चन्द्र बोस भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। उन्होंने  द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा” का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया। भारतवासी उन्हें नेता जी के नाम से सम्बोधित करते हैं। सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन योद्धाओं में से एक थे, जिनका नाम और जीवन आज भी करोड़ों देशवासियों को मातृभूमि के लिए समर्पित होकर कार्य करने की प्रेरणा देता है। उनमें नेतृत्व के चमत्कारिक गुण थे, जिनके बल पर उन्होंने आज़ाद हिंद फ़ौज की कमान संभाल कर ब्रिटिशो को भारत से निकाल बाहर करने के लिए एक मज़बूत सशस्त्र प्रतिरोध खड़ा करने में सफलता हासिल की थी।