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तारक मेहता की बबीता जी ने बताई आपबीती – टीचर ने खींची ब्रा स्‍ट्रैप

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#MeToo का शोर थमने का नाम नही ले रहा है। जो नये मामले सामने निकल कर आ रहे है। जहाँ महिलाए अपने ऊपर हुए अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। ऐसे में अब एक और नाम जुड़ गया है। ये नाम है, लोकप्रिय शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो की बबीता जी का यानि की मुनमुन दत्ता। मुनमुन ने #MeToo कैंपेन का समर्थन करते हुए अपने उपर हुए अत्याचार पर एक खुलासा किया है।
हाल ही में मुनमुन दत्ता ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुए नवरात्री प्रोग्राम में पहुंची वहां पर उन्होंने मी-टू के साथ एक अनुभव साझा करते हुए बताया ,’महिलाओं को हर उम्र में यौन शोषण का शिकार होना पड़ता है। यहीं नहीं जो महिलाएं आज #MeToo कैंपेन के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त कर रही हैं उनका सम्मान किया जाना चाहिए।पिछले साल ही मुनमुन दत्ता ने अपने उपर हुए अत्याचारों का खुलसा करते हुए एक पोस्ट किया था जिसमें मुनमुन ने बतया,’ऐसा कुछ लिखते हुए मेरी आंखों में आंसू आ रहे हैं. ऐसा कर के मैं वापस बचपन की उन यादों को जी रही हूं, जब मैं अपने नजदीक में रहने वाले एक अंकल से डरती थीं, क्‍योंकि उन्‍हें जब भी मौका मिलता था वह मुझे जकड़ लेते थे और धमकी देते थे कि मैं यह बात किसी को न बतायूं… या मुझसे उम्र में कहीं ज्‍यादा बड़े कजिन, जो अपनी खुद की बेटियों से अलग तरह की निगाह से मुझे देखते थे… या वह आदमी जिसने मुझे अस्‍पताल में पैदा होते हुए देखा था और बाद में जब मैं 13 साल की थी तो उसने मुझे छूना सही समझा क्‍योंकि मैं एक टीनेजर थी और मेरे शरीर में बदलाव हो रहे थे… या मेरा ट्यूशन टीचर जिसने मुझे नीचे हाथ लगाया था… या वह टीचर जिसे मैंने राखी बांधी थी, जो अपनी फीमेल स्‍टूडेंट्स को उनकी ब्रा का स्‍ट्रैप पकड़ कर खींचता था और लड़कियों के स्‍तन पर थप्‍पड़ मारता था… या ट्रेन में मिला वह आदमी जिसने तुम्‍हें जकड़ लिया था.. क्‍यों ??? क्‍योंकि आप इतनी छोटी थीं और डरी हुई थीं कि कुछ कह ही नहीं पायीं. इतनी डरी हुई कि आप अपने पेट में एक अजीब सी मरोड़ महसूस करती हैं और आपका गला डर के मारे सूख जाता है… आप समझ नहीं पाती कि आप अपने पेरंट्स को यह कैसे बताएंगी या आप शर्म के मारे यह किसी को बता ही नहीं पाती हैं. और तब‍ आपके भीतर मर्दों को लेकर एक अजीब सी नफरत पैदा होने लगती है, क्‍योंकि आपको लगता है कि यही वह अपराधी हैं जिनकी वजह से आपको यह महसूस करना पड़ा है. एक ऐसी भावना, जिससे बाहर आने में आपको सालों लग जाते हैं।’