शिवजी और मां पार्वती को ऐसे करें प्रसन्न, याद रखें ये विशेष मंत्र

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शिवजी और मां पार्वती को ऐसे करें प्रसन्न, याद रखें ये विशेष मंत्र

गुरुवार आज देशभर में हरतालिका तीज का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। आज का व्रत सुहागिनों के लिए बहुत खास होता है। इस व्रत में सुहागन महिलाएं मां पार्वती औऱ भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करती है और उनसे अपने पति की लंबी उम्र का वरदान प्राप्त करती हैं। ये व्रत कुवांरी कन्याएं भी अच्छे पति की चाहत के लिए रख सकती हैं, पर अगर उन्होंने एक बार ये व्रत रखना शुरु कर दिया, तो उन्हें आगे भी इस व्रत को रखना होगा। हरतालिका तीज के इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ा जा सकता। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

इस आरती से करें मां पार्वती को प्रसन्न

जय पार्वती माता,
जय पार्वती माता
ब्रह्मा सनातन देवी,
शुभ फल की दाता ।
॥ जय पार्वती माता… ॥
अरिकुल कंटक नासनि,
निज सेवक त्राता,
जगजननी जगदम्बा,
हरिहर गुण गाता ।
॥ जय पार्वती माता… ॥
सिंह को वहान साजे,
कुंडल है साथा,
देव वधू जस गावत,
नृत्य करत ता था ।
॥ जय पार्वती माता… ॥
सतयुग रूप शील अतिसुंदर,
नाम सती कहलाता,
हेमाचंल घर जन्मी,
सखियाँ संगराता ।
॥ जय पार्वती माता… ॥
शुम्भ निशुम्भ विदारे,
हेमाचंल स्थाता,
सहस्त्र भुजा तनु धरिके,
चक्र लियो हाथा ।
॥ जय पार्वती माता… ॥
सृष्टि रूप तुही है जननी,
शिव संग रंगराता,
नन्दी भृंगी बीन लही,
सारा जग मदमाता ।
॥ जय पार्वती माता… ॥
देवन अरज करत हम,
चरण ध्यान लाता,
तेरी कृपा रहे तो,
मन नहीं भरमाता ।
॥ जय पार्वती माता… ॥
मैया जी की आरती,
भक्ति भाव से जो नर गाता,
नित्य सुखी रह करके,
सुख संपत्ति पाता ।
॥ जय पार्वती माता… ॥
जय पार्वती माता,
जय पार्वती माता,
ब्रह्मा सनातन देवी,
शुभ फल की दाता ।
जय पार्वती माता,
जय पार्वती माता
ब्रह्मा सनातन देवी,
शुभ फल की दाता ।

मां पार्वती और भोलेनाथ का विशेष मंत्र

हरतालिका तीज के लिए भगवान शिव और मां पार्वती का ये विशेष मंत्र आपकी मनोकामना को जल्द पूरा करेगा।

ऊँ उमामहेश्र्वराभ्यां नम:
ऊँ पार्वत्यै नम:
हरतालिका तीज आज, इस व्रत में इन बातों का रखें विशेष ध्यान

आप सांयकाल की आरती में गणेश जी के इस मंत्र का अवश्य उचारण करें। ऐसा करने से मां पार्वती आपसे जल्द प्रसन्न होंगी।

एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।