लॉकडाउन के डर से फिर लौट रहे प्रवासी मजदूर, महाराष्ट्र से सबसे अधिक पलायन

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महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से हालात एक बार फिर गंभीर होते जा रहा हैं। राज्य सरकार ने हालात से निपटने के लिए लॉकडाउन लगाने के संकेत दिए हैं। कोरोना की नई रफ्तार और लॉकडाउन की आहट ने प्रवासी कामगारों की परेशानी एक बार फिर बढ़ा दी है। इसके चलते कई राज्यों से प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार पलायन करने लगे हैं। खचाखच भरी ट्रेनों या अन्य माध्यमों से लौट रहे प्रवासियों ने बताया कि पिछले साल हुए लॉकडाउन के बाद जिन दुश्वारियों का सामना हमें करना पड़ा था, वैसे ही दिन फिर आ गए हैं। इसलिए भलाई अपने गृह नगर लौटने में ही समझी।उप्र और बिहार जाने वाली ट्रेनें खचाखच भरी हुई चल रही हैं। हालत यह है कि कोचों में बैठने की जगह नहीं मिल रही है। भोपाल रेलवे स्टेशन से होकर गोरखपुर जाने वाली ट्रेन कुशीनगर एक्सप्रेस से अपने गृह नगर लौट रहे कुछ प्रवासियों से दैनिक जागरण के सहयोगी ‘नईदुनिया’ ने चर्चा की और वापसी के कारण जाने। उत्तर प्रदेश के बस्ती निवासी अशोक पाल ने बताया कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान 40 दिन तक लोगों से मांग-मांग कर पेट भरना पड़ा था। महाराष्ट्र सरकार हमारे लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही है। मप्र सीमा से 16 किमी दूर एबी रोड पर महाराष्ट्र के गांव हाड़ाखेड़ में दोपहर में जीप में उप्र के 20 मजदूर ठसाठस बैठे मिले। इनमें से संत कबीर नगर निवासी शाद अंसारी और सलीम भाई ने बताया, मुंबई में एक कंपनी में एसी फिटिंग का काम करते हैं। 12 हजार रुपये मासिक मिलता है। मुंबई में कोरोना का प्रकोप बढ़ने से 20 दिन से काम बंद हो गया। ऐसे में मकान किराया देने सहित खाने-पीने की दिक्कतें होने लगी। वहां परेशान होने के बजाय घर लौटना ही ठीक समझा।महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे व अन्य शहरों से मजदूर ट्रेनों से वापसी कर रहे हैं। सोमवार को भी ट्रेनों में इनकी भीड़ रही। उप्र के बांदा जिले के शंभूनाथ ने कहा, महाराष्ट्र में लॉकडाउन के बाद ही वहां से निकल आए। काम बंद है और हमारे पास पैसे भी खत्म हो गए। मुंबई से बिहार के सासाराम जा रहे श्रमिक संजू यादव ने बताया महाराष्ट्र में निर्माण कार्य भी बंद हैं, इसलिए लौटना पड़ रहा है।