Home दैनिक पूजा आरती Chhath Puja Special: छठ महापर्व की शुरुआत, जानें पूजा विधि का महत्त्व

Chhath Puja Special: छठ महापर्व की शुरुआत, जानें पूजा विधि का महत्त्व

Chhath Puja 2021:लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान सोमवार आठ अक्टूबर से शुरू हो रहा हैI कार्तिक शुक्ल चतुर्थी दिन को नहाय-खाय से महापर्व छठ शुरू हो रहा है । इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं। व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।

छठ पूजा का महत्व

छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और परिवार को सुख, शांति व धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। सूर्यदेव के प्रिय तिथि पर पूजा, अनुष्ठान करने से अभीष्ट फल प्रदान करते हैं। इनकी उपासना से असाध्य रोग, कष्ट, शत्रु का नाश, सौभाग्य तथा संतान की प्राप्ति होती है ।

चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत सोमवार को कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को मूल नक्षत्र व सुकर्मा योग में नहाय-खाय से होगाI इस दौरान छठ व्रती कल गंगा नदी, जलाशय, पोखर या स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करके भगवान भास्कर को जलार्घ्य देकर चार दिवसीय अनुष्ठान की सफलता हेतु प्रार्थना करेंगेI फिर पूरी पवित्रता से तैयार प्रसाद स्वरूप अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवला की चासनी, पकौड़ी आदि ग्रहण कर अनुष्ठान का आरंभ करेंगीI प्रसाद के लिए मंगवाये गये गेहूं को गंगाजल में धोकर सुखाया जायेगा।

Chhath Puja Special: छठ महापर्व की शुरुआत, जानें पूजा विधि का महत्त्व

मंगलवार को रवियोग में व्रती करेंगी खरना 

छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। इस पूजा में महिलाएं शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ का खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं। महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरु हो जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही छठी मइया का घर में आगमन हो जाता है।

बुधवार 10 नवंबर को पहला अर्घ्य 

सूर्य उपसना का महापर्व छठ के तीसरे दिन के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानि छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती पूरी निष्ठा व पवित्रता के साथ निर्जला उपवास रखती हैं। साथ छठ पूजा का प्रसाद फल, मिष्ठान्न, नारियल, पान-सुपारी, माला, फूल, अरिपन से डाला सजाकर शाम के समय नए वस्त्र धारण कर परिवार संग किसी नदी या तलाब छठ घाट पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी। तीसरे दिन का निर्जला उपवास रातभर जारी रहता है।

 

छठ पूजा का चौथा दिन प्रातःकालीन सूर्य को अर्घ्य्र देकर महापर्व का होगा समापन

छठ पूजा के चौथे दिन पानी में खड़े होकर उगते यानी उदयमान सूर्य को दूध तथा जल से अर्घ्य दिया जाता है। इसे उषा अर्घ्य या पारण दिवस भी कहा जाता है। अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं सात या ग्यारह बार परिक्रमा करती हैं। इसके बाद एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोला जाता है। 36 घंटे का व्रत सूर्य को अर्घ्य देने के बाद तोड़ा जाता है। इस व्रत की समाप्ति सुबह के अर्घ्य यानी दूसरे और अंतिम अर्घ्य को देने के बाद संपन्न होती है।इसके साथ ही 36 घंटे से चला आ रहा निर्जला उपवास भी पूर्ण होगाI व्रती अन्य श्रद्धालुओं को अपना आशीर्वाद देकर पारण करेंगी ।

Also Read: कोल्हापुर स्थित मां लक्ष्मी के इस मंदिर के दर्शन से सुलझती हैं धन संबंधी सारी समस्याएं
Exit mobile version