सबरीमाला: आज खुलें हैं मंदिर के कपाट, पर क्या हो पाएगी महिलाओं की एंट्री !

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: केरल के सबरीमाला मंदिर के कपाट 16 नवंबर को खुल रहें, और इसी के साथ पूजा की शुरुआत होनी है, पर कोर्ट के फैसले आने के बाद दशकों से महिलाओं को प्रवेश ना दिये जाने वाले मंदिर में क्या आज कोई महिला आयेगी यह बड़ा सवाल है, वहीं केरल सरकार का कहना है कि जो महिलाएँ मंदिर में प्रवेश करना चाहती हैं उन्हें ‘आदलती आदेश’ लेकर आना होगा ।

क्या कहना था कोर्ट का !

सबरीमाला केस में सुनवाई करते हुए 5 जजों की बेंच में से 3 जजों का मानना था कि इस मामले को सात जजों की बेंच को भेज दिया जाए। लेकिन जस्टिस नरीमन और जस्टिस चंद्रचूड़ ने इससे अलग विचार रखे,  और इसी के मद्देनज़र रखते हुये अंत में 5 जजों की बेंच ने 3:2 के फैसले इसे 7 जजों की बेंच को भेज दिया। हालांकि, सबरीमाला मंदिर में अभी महिलाओं की एंट्री जारी रहेगी।

सबरीमाला मसले पर फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा। अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला केस को बड़ी बेंच को सौंप दिया है। अब इस मामले को 7 जजों की बेंच सुनेगी। पांच जजों की बेंच ने इस मामले को 3:2 के फैसले से बड़ी बेंच को सौंप दिया है।

पहले क्या था कोर्ट का फैसला

28 सितंबर, 2018 को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं का प्रवेश वर्जित होने संबंधी व्यवस्था को असंवैधानिक और लैंगिक तौर पर पक्षपातपूर्ण करार देते हुए 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था। गौरतलब है कि इस पीठ की एकमात्र महिला सदस्य जस्टिस इन्दु मल्होत्रा ने अल्पमत का फैसला सुनाया था।

रिपोर्ट- शक्ति