जानिए क्या है बुद्ध पूर्णिमा का महत्त्व, क्यों मनाया जाता है यह पर्व….

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18 मई यानी कि आज वैशाख माह की पूर्णिमा है जिसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। । ऐसा किसी अन्य महापुरुष के साथ आज तक नहीं हुआ है।

563 ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में, कुशीनगर में गौतम बुद्ध का शरीर पंच तत्व में विलीन हो गया । वर्तमान समय में कुशीनगर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद का एक कस्बा है। बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 180 करोड़ से अधिक लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने अपना 9वां अवतार भगवान बुद्ध के रूप में लिया था। वैशाख पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध का अवतार होने पर बौद्ध अनुयायी इसे बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।

इस बार बुद्ध पूर्णिमा बहुत ही शुभ मुहूर्त में मनाई जा रही है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन सम सप्तक राजयोग बन रहा है।  इस दिन शुभ कार्यों के स्वामी देव गुरु बृहस्पति व नवग्रहों के राजा सूर्यदेव आमने-सामने रहेंगे। इस कारण सूर्य व गुरु का समसप्तक राजयोग बनेगा। समसप्तक राजयोग बनने से इस दिन सभी कार्यों में स्थायित्व के साथ उन्नति प्रगति होगी।

इस दिन भूमि, मकान, वाहन खरीदना, पदभार ग्रहण करना और नए व्यापार व्यवसाय का शुभारंभ करना बहुत ही अधिक शुभ फलदायी और मंगलकारी होगा। ऐसा माना जाता है कि वैशाख महीने की बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा घाट पर स्नान करने से कई तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन सुख-शांति से भर जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा जब द्वारका उनके पास मिलने पहुंचे थे, तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वैशाख पूर्णिमा यानि सत्य विनायक पूर्णिमा व्रत का विधान बताया। बुद्ध पूर्णिमा पर देश के कई स्थानों पर तरह- तरह के आयोजन किए जाते हैं।