क्या अंधविश्‍वास में वाकई कोई खतरा है? पढ़े खबर…

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: आज के आधुनिक युग में भी कुछ ऐसी पुरानी परंपराएं हैं जो आज तक चलती आ रही है और जिन्हें हमारा आधुनिक समाज आज भी मानता है। इनमे कुछ हमारे पुराने रीति-रिवाज़ है और कुछ अंधविश्वासों ने केवल परंपराऔ की चादर औढ़ी हुइ हैं। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ परंपराओं के बारे में जिन्हे अंधविश्वास मानना चाहिए।

बुरी नजर से बचने के लइए नींबू-मिर्ची का प्रयोग 

हमारे पुर्वज पहले शादी जैसे अवसरों मे नींबू और मिर्ची का प्रयोग करते थे क्योंकि वह नींबू और मिर्ची को अच्छा प्रतीक मानते थे। नींबू और मिर्ची में कही सारे विटामिन होते है इसी कारण से इनका प्रयोग किया जाता था।

सूरज डूबने के बाद नाखून न काटना

पहले के समय में सूर्यास्त के बाद नाखून ना काटने को इसलिए कहते थें क्योकि सूर्यास्त के बाद अंधेरा हो जाया करता था और अगर वह अंधेरे मे नाखून काटते तो उनकी उंगलियों में चोट लगने का खतरा होता था परंतु बाद में लोगों ने इसको भी अंधविश्वास बना डाला और अब रोशनी भी हो तब भी लोग सूर्यास्त के बाद नाखून नहीं काटते।

शाम के समय झाडू न लगाना

पहले के समय में जब लोगों के पास बिजली की सुविधा नहीं होती थीं तो वह अंधेरे में झाडू लगाने से मना करते थे क्योकि अंधेरे में झाडू लगाने से महत्तवपूर्ण वस्तूओं के खो जाने का डर बना रहता था इसलिए सूर्यास्त के बाद झाडू लगाने के लिए मना किया जाता था।

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शमशान से आने के बाद नहाना

पहले लोगों के पास चेचक, हेपेटाइटस और अन्य घातक रोगों से बचने के लिए टीकाकरण जैसी सुविधाएं नहीं होती थीं तो उन्होने अपने आप को इन बीमारियों से बचाने के लिए कुछ नियम बनाए जिनमें से एक था किसी का भी अंतिम संस्कार करने के बाद आके नहाना परंतु आगे चलते चलते लोगों ने इसे अंदविश्वास बना डाला और इसे भूत प्रेत की कहानियों से जोड़ने लगे।

रात के समय पीपल के पेड़ के पास खड़े होना

रसायनयन शास्त्र वैज्ञानिक जन वन हेल्मोंत ने 17वीं सदी में यह खोजा था कि पौधे सूरज सें रोशनी लेकर सीचते हैं। उससे पहले लोगों को यह भी नहीं पता था कि सूरज की रोशनी और कार्बन डाईआँक्साइड का पौधौं से क्या संबंध हेता है परंतु हमारे पूर्वज इस बोरे में जानते थे और इसलिए वह लोगों को रात के समय पेड़ से दूर रहने को कहते थे परंतु बाद में लोगों ने इसे अंधविश्वास बना दिया और यह मानने लगे कि रात के समय पीपल के पेड़ पर भूत होते हैं इसलिए उसके नजदीक नहीं जाना चाहिए।

नदी में सिक्के फेंकना

माना जाता हैं कि नदीं में सिक्के फेंकने से हमारी इच्छाएं पूरी होती हैं और आज भी यह भारत के काफी जगहों पर होता हैं। अब जानते हैं इसके पीछे छिपा कारण- पहले के समय में सिक्के पीतल के होते थें। पीतल पानी को स्वच्छ कर देता हैं और उससे कीटाणु भी मर जाते थें। उस वक्त लोग नदीयों से ही पीने का पानी लेते थें तो सिक्कें डालने से पानी स्वच्छ मिलता था परंतु आज के समय में स्टेनलेस स्टील के सिक्के आते हैं जिनका नदी पर कोई असर नहीं पड़ता यह आज बस एक अंधविश्वास बन कर रह गया हैं।

सूर्यग्रहण होने पर बाहर न निकलना

अपनी आंखों से सूर्यग्रहण को देखने से आंखे की रोशनी चले जाने का डर रहता है। हमारे पूर्वज नें इसी कारण से सूर्यग्रहण को गलत समझा और लोगों को उस वक्त घर सें ना निकलने की सलह दी।

सोते वक्त दक्षिण की ओर पैर न करना 

अंधविश्वास से जुड़़ी एक कहानी यह भी हैं कि हमनें अक्सर अपने माता-पिता से सुना होगा कि सोते वक्त उत्तर की तरह सिर नहीं होना चाहिए परंतु इसके पीछे का कारण आज तक कोई नहीं बता पाया है लेकिन लोगों ने इसे भी अंधविश्वास बना लिया हैं और मानने लगे हैं कि उत्तर की तरह सिर करके सोने सें हमारी मौत जल्दी हो जाती हैं।