संघ के खिलाफ कांग्रेस और पाकिस्तान की संयुक्त साजिश

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 दुनिया भर में हिंदु और हिंदुस्तान विरोधी ताकतों का एक ही ही निशाना है-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। भारत में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल आदि जैसी कास्टिस्ट इस्लामिक कम्युनल (सीआईसी) पार्टियां जिस स्वर में बोलती हैं, ठीक उसी स्वर में पाकिस्तान की आईएसआई और पश्चिम के ईसाई संगठन भी बोलते हैं। आखिर ये चल क्या रहा है, जो हो रहा है वो क्यों हो रहा है? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।

शुरूआत करते हैं पश्चिम बंगाल से जहां मुस्लिम आबादी करीब 27 प्रतिशत है। कुछ दिन पहले गांधी जयंती पर कोलकाता के दमदम नगर बाजार में बम विस्फोट हुआ। इसमें आठ साल का बच्चा मारा गया। अभी पुलिस ने केस दर्ज कर तफ्तीश शुरू भी नहीं की थी कि ममता बनर्जी सरकार के मंत्री पूर्णेंदू बोस ने इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जिम्मेदार ठहरा दिया।

हालांकि संघ के स्थानीय नेतृत्व से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक सबने इस हिंसक घटना की निंदा की और बोस के बयान को बेसिरपैर का बताया, लेकिन राज्य सरकार के एक ‘जिम्मेदार’ मंत्री द्वारा तुरंत और वो भी बिना किसी सबूत के संघ को दोषी ठहराना चिंताजनक है। चिंताजनक इसलिए कि एक मंत्री द्वारा इस प्रकार बयान देना, कहीं न कहीं पुलिस और जांच एजेंसियों के काम को भी प्रभावित करता है।

ये एक प्रकार से उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से निर्देश देता है कि उन्हें जांच किस दिशा में ले जानी है और येन केन प्रकारेण अंततः किसे दोषी साबित करना है। अब दूसरा मामला इसी राज्य के इस्लामपुर स्थित दरीभीत स्कूल का देखिए। यहां पिछले महीने जब शिक्षकों की भर्ती के मामले में छात्रों ने विरोध किया तो पुलिस ने उनपर गोली चला दी।

इससे दो छात्र मारे गए। इस मामले में तो स्वयं ममता बनर्जी ने आगे बढ़कर संघ को दोषी ठहराया, हालांकि गोली ममता की पुलिस ने चलाई। संघ प्रवक्ता जिशनु बसु ने इस मसले में टीएमसी को कानूनी नोटिस भेज दिया है।

बिना किसी सबूत या जांच के संघ पर मिथ्या आरोप लगाने वाली ममता और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल को खुद कैसे आतंकियों का अड्डा बना रखा है वो इस बात से समझा जा सकता है कि पिछले तीन साल में भारत में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सबसे अधिक एजेंट पश्चिम बंगाल से ही पकड़े गए हैं।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्ता पलटने की कोशिश में लगे जमात-उल-मुजाहीदीन, बांग्लादेश (जेएमबी) के 30 आतंकी  और उनकी बम बनाने की फैक्ट्रियां भी यहीं पकड़ी गईं थीं।

पिछले साल दिसंबर में खुफिया एजेंसियों ने खबर दी थी कि जेएमबी पश्चिम बंगाल और असम के बांग्लाभाषी मुसलमानों को भड़काकर गुरिल्ला फोर्स बनाने की योजना पर काम कर रहा है और संघ और उसके सहयोगी संगठनों के नेता उसके निशाने पर हैं क्योंकि वही बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ का सबसे मुखर विरोध करते हैं।

ध्यान रहे जेएमबी के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से प्रगाढ़ संबंध हैं और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के अनेक पदाधिकारियों पर उसके एजेंटों को पालने के आरोप भी लगते रहे हैं। आपको ये भी याद होगा कि कैसे ममता के एक मंत्री फिरहद हाकिम ने पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्टर मलीहा हामिद सिद्दीकि को कोलकाता के गार्डन रीच इलाके की सैर कराते हुए उसे गर्व से ‘मिनी पाकिस्तान’ बताया था।

पश्चिम बंगाल में जिस तेजी से आईएसआई समर्थित बांग्लादेशी आतंकियों का प्रभाव बढ़ा है, वो देश की एकता और अखंडता के लिए बड़ी चुनौती है और केंद्र सरकार को इसके पीछे काम कर रहे नापाक गठबंधन का पर्दाफाश करना ही चाहिए। 

बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाने के लिए आज ममता आज ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस’ (राष्ट्रीय नागरिक पंजिका), ‘आधार’ आदि तक का विरोध कर रहीं हैं। मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए वो इतनी बदनाम हो चुकी हैं कि देश भर में लोग उन्हें ‘ममता बेगम’ कहने लगे हैं। संघ और भारतीय जनता पार्टी से उनका द्वेष पुराना है। उन्होंने राज्य में होने वाले संघ प्रमुख मोहन भागवत के हर कार्यक्रम में रोड़े अटकाए हैं।

उन्हें लगता है कि संघ को हिंदुओं का प्रतीक बनाकर और उसे प्रताड़ित और बदनाम कर वो हिंदुओं से नफरत करने वाले लोगों को परपीड़ा सुख दे सकती हैं और उनके वोट हासिल कर सकती हैं। लेकिन उनकी ये मानसिकता नई नहीं है, वो कांग्रेस से आईं हैं और वहां जवाहरलाल नेहरू के जमाने से नफरत फैलाने का ये रोग चला आ रहा है।

सोनिया सरकार के जमाने में इसने विकराल रूप धारणा कर लिया जब उनके सुशील शिंदे और पी चिदंबरम जैसे गृह मंत्रियों तथा उनके मातहत काम करने वाली पुलिस और जांच एजेंसियों ने इस्लामिक आतंकवाद को सही ठहराने के लिए ‘हिंदू आतंकवाद’ या ‘भगवा आतंकवाद’ के काल्पनिक विचार को जमीन पर उतारने के लिए संघ पर निशाना साधना शुरू कर दिया।

सब जानते हैं कि मुंबई हमला पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिश थी, लेकिन कांग्रेस के दलाल अजीज बर्नी ने एक किताब लिखी – ‘मुंबई हमलाः आरएसएस की साजिश’ और इसका विमोचन किया कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने। दिग्विजय सिंह वही व्यक्ति हैं जिन्हें हेट प्रीचर जाकिर नायक ‘शांतिदूत’ नजर आता है और जो ओसामा बिन लादेन और हाफिज सईद जैसे आतंकियों को ‘जी’ कह कर सम्मान देते हैं।

ये वही धर्मांध व्यक्ति हैं जो बाटला हाउस उनकाउंटर में शहीद हुए दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा का अपमान करते हैं और इस्लामिक आतंकियों के लिए सहानुभूति जताते हैं।

कांग्रेस ने संघ को फंसाने के लिए देश की अस्मिता से कैसे समझौता किया और देश को कैसे बदनाम किया उसका एक उदाहरण है – समझौता ट्रेन ब्लास्ट मामला। इसमें जांच एजेंसियों ने आईएसआई एजेंट अजमत अली को पकड़ लिया था, लेकिन न जाने किस मंत्री के इशारे पर उसे छोड़ दिया गया और सेना के कर्तव्यनिष्ठ अफसर कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा आदि का पकड़ लिया गया और उनके खिलाफ फर्जी केस बनाए गए।

यही हाल गोधरा कांड में हुआ। इसकी योजना पाकिस्तान में बनी, लेकिन पाकिस्तानी एजेंट कब कैसे गायब हो गया, पता ही नहीं चला। याद दिला दें कि गोधरा कांड के दो मुख्य अभियुक्त फारूक भाना और इमरान शेरू हैं। वारदात के समय भाना गोधरा में निर्दलीय पार्षद था। उसने वहां बोर्ड का निर्माण कांग्रेस की मदद से किया था। भाना खुद भी फरार हो गया था और 14 साल बाद ही वो पुलिस की पकड़ में आया।

गोधरा कांड के बाद कैसे गुजरात में दंगे भड़के और उसके बाद तबके मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मुसलमानों का हत्यारा’ बताकर कैसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम किया गया और कैसे भाजपा और संघ के खिलाफ मुसलमानों को लामबंद करने की कोशिश की गई वो किसी से छुपा नहीं है। कांग्रेस और अमेरिका में धर्म परिवर्तन की मुहिम चलाने वाली कुछ ईसाई संस्थाओं ने तो मोदी के अमेरिका प्रवेश तक पर रोक लगवा दी थी।

संघ पर सिर्फ टीएमसी या कांग्रेस ने ही निशाना साधा ऐसा नहीं है। हमने देखा है कि जब भी किसी राष्ट्रविरोधी विचारधारा या आतंकी पर हमला हुआ तो उसने पलट कर संघ पर हमला किया। इसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और कई अन्य विश्वविद्यालयों में पलने वाले टुकड़े-टुकड़े गैंग, अर्बन नक्सल और उनकी सरपरस्त कम्युनिस्ट पार्टियां, इस्लामिक आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रट ऑफ इंडिया और उसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमाक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, कश्मीर के आतंकी संगठन और सपा और राजद जैसी अनेक सीआईसी पाटियां आदि सभी शामिल हैं।

केरल में कम्युनिस्ट पार्टियांे और कांग्रेस के शासन में कैसे सैकड़ों संघ कार्यकर्ताओं को सरेआम कत्ल किया गया है, वो किसी से छुपा नहीं है। इसी प्रकार कर्नाटक में भी संघ कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न और हत्याएं जारी हैं। हर चुनाव से पहले चर्च और मौलवी कैसे संघ के विरूद्ध भड़ास निकालते हैं और भाजपा के खिलाफ फतवा जारी करते हैं, वो भी मंजरे आम पर है। मतलब साफ है – संघ अखंड भारत का समर्थन करता है तो जो भी भारत को तोड़ना चाहता है, वो संघ पर हमला करता है।

हाल ही में रिपब्लिक टीवी ने लंदन आधारित खालिस्तानियों पर स्टिंग ऑपरेशन किया। आश्चर्य तो तब हुआ जब आईएसआई के पैसे पर पलने वाले प्रतिबंधित ‘दल खालसा’ के आतंकी गुरचरण सिंह ने अपने आतंकी रवैये को सही ठहराने के लिए संघ और उसके कथित ‘ब्राह्मणवादी’ रवैये को दोषी ठहराना शुरू कर दिया। लगता है इस खूनी दरिंदे को सिखों के गुरू साहेबान का इतिहास तक नहीं मालूम।

जिस हिंदू धर्म के खिलाफ आज ये आग उगल रहा है, उन्होंने इसकी रक्षा के लिए अपने साहबजादों तक को कुर्बान कर दिया था। इस आतंकी से कोई पूछे कि जब तुमने आईएसआई के इशारे पर अस्सी के दशक में पंजाब में खालिस्तान की आग लगाई, तो संघ कहां था?

संघ जिम्मेदार था तो तुमने इंदिरा गांधी की हत्या क्यों करवा दी? आश्चर्य की बात है कि आज पंजाब में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार है लेकिन लंदन में बैठे ये लोग पंजाब में संघ कार्यकर्ताओं की हत्या करवा रहे हैं। इसकी वजह भी साफ है – इन्हें कांग्रेस से कहीं ज्यादा संघ से खतरा है क्योंकि इन्हें लगता है कि अगर 2019 में फिर मोदी सरकार आ गई तो इनके बचेखुचे आतंकी नेटवर्क को भी ध्वस्त कर देगी। गुरचरण स्टिंग में दावा करता हैं कि उसके संगठन ने पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को पैसा दिया। आम आदमी पार्टी क्या पंजाब में संघ के खिलाफ चुनाव लड़ रही थी?

स्टिंग में किसने क्या कहा और उसके पीछे कौन है, सब जानते हैं, लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि संघ को ‘हिंदू आतंकी’ बताने के नेरेटिव का इस्तेमाल अब पाकिस्तान भी खुल कर कर रहा है। इस बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान पर हमला किया तो पलट कर उसने संघ को ‘हिंदू आतंकी’ बता कर हमला किया।

उन्होंने संघ को आतंकी साबित करने के लिए ‘समझौता ट्रेन ब्लास्ट’ की घटना का उल्लेख किया। जाहिर है ये हथियार उसे कांग्रेस ने ही उपलब्ध करवाया है। संघ को ‘हिंदू आतंकी’ के रूप में बदनाम करने की साजिश कांग्रेस ने पाकिस्तान के इशारे पर की या पाकिस्तान ने कांग्रेस के दुष्प्रचार का दुरूपयोग किया, इसकी जांच होनी ही चाहिए। जो भी हो, चाहे कांग्रेस हो या पाकिस्तान दोनों में एक बात तो कॉमन है – हिंदुओं के प्रति नफरत।

ये भी सच है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल देश में तो संघ के प्रति नफरत फैलाते हैं, विदेश में भी उसका अपमान करने से बाज नहीं आते जबकि वहां उनके अनर्गल वक्तवयों का जवाब देने के लिए संघ का कोई कार्यकर्ता भी मौजूद नहीं होता। हम कैसे भूल सकते हैं राहुल गांधी और पूर्व अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर की वो बदनाम बातचीत जिसमें उन्होंने कहा था, ”भारत को लश्कर-ए-तौएबा से ज्यादा बड़ा खतरा हिंदू संगठनों से है“। 

भारत से लेकर पाकिस्तान और इंग्लैंड से लेकर अमेरिका तक दुनिया भर में जिस प्रकार इस्लामिक आतंकी संगठन और ईसाई चर्च संघ पर निशाना साध रहे हैं, उसका गहन अध्ययन होना चाहिए। इसके लिए कौन से देशी-विदेशी संगठन और राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं और उनका आपस में क्या संबंध है, उस पर विचार होना ही चाहिए।

बहरहाल इतना तो साफ है कि भारत में कांग्रेस, टीएमसी, सीपीएम, राजद, सपा आदि जैसी सीआईसी पार्टियां ही नहीं, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां के कट्टर इस्लामिक दल भी आज संघ को निशाना बना रहे हैं। सब एक ही जुबान बोल रहे हैं और सबका एक ही मकसद है – इस्लामिक आतंकवाद को सही ठहराने या उससे ध्यान हटाने के लिए ‘हिंदू आतंकवाद’ का हौवा खड़ा करना। इस मामले में आईएसआई, कांग्रेस जैसी इस्लामिक सांप्रदायिक पार्टियों से दस कदम आगे है। उसके टुकड़ों पर पलने वाले कश्मीरी, खालिस्तानी, बांग्लादेशी, बर्मी आतंकी सभी अब एक स्वर से इसका जाप कर रहे हैं।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में दिल्ली के विज्ञान भवन में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अपना पक्ष मजबूती और स्पष्टता से रखा था। लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है। अब जरूरी है कि संघ विश्व समुदाय के साथ वैचारिक आदान-प्रदान और प्रगाढ़ करे और अपने उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण सामाजिक सांस्कृतिक योगदान और परियोजनाओं के विषय में उन्हें अधिक जानकारी दे। संघ को केंद्र में रखकर ‘हिंदू आतंकवाद’ का जो नेरेटिव दुनिया में प्रचारित किया जा रहा है वो अंतः सिर्फ हिंदुओं या संघ के लिए ही नहीं, देश की छवि के लिए भी घातक होगा। समय रहते इसका प्रतिकार करना आवश्यक है।

रामहित नंदन

वरिष्ठ पत्रकार