पश्चिम बंगाल में भाजपा को बड़ा झटका, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने NDA से नाता तोड़ा

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 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। यहां एनडीए के सहयोगी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने आधिकारिक तौर पर एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया है। मोर्चा के एनडीए से अलग होने से भाजपा को उत्तरी बंगाल में चार सीटों पर नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। जिसमे दार्जिलिंग की सीट भी शामिल है। ऐसा माना जाता है कि यहां बिना मोर्चा को साथ लिए कोई भी पार्टी जीत दर्ज नहीं कर सकती है।

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अलग हो जाने से पश्चिम बंगाल के उत्तरी इलाके में आने वाली कम से कम चार लोकसभा सीटों पर बीजेपी का समीकरण बिगड़ सकता है। इन्हीं चार सीटों में दार्जलिंग संसदीय सीट भी शामिल है। बीजेपी और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बीच 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन हुआ था। इसके बाद से बीजेपी दार्जलिंग सीट पर काबिज है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अलग होने के बाद अब 2019 में बीजेपी के लिए ये सीट जीतना एक बड़ी चुनौती होगी।

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बिनय तामांग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखते हुए कहा कि उनकी इच्छा अब किसी तीसरे गठबंधन का समर्थन करने की है। तामांग और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के महासचिव अनिल थापा कोलकाता के बिग्रेड परेड ग्राउंड में ममता बनर्जी के नेतृत्व में हुई विपक्ष की महारैली में भी शामिल हुए थे।

ममता ने कहा

पार्टी के सूत्र का कहना है कि पिछली बार प्रदेश में हुए आंदोलन में शांत रहने के अलावा भाजपा ने कुछ नहीं किया, अभी तक पहाड़ के लोगों तमाम वायदों को पूरा किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। मोर्चा चाहता है कि तीसरा मोर्चा चाय के बागान के लिए मजदूरों को जमीन दे। गौर करने वाली बात है कि यहां तमाम मजदूर जो चाय बागान में काम करते हैं वह जमीन उनकी नहीं है और आज भी वह पट्टे की जमीन पर काम करते हैं।