छठ पूजा में डूबते सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्ध्य, जानें

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छट पर्व का आज तीसरा दिन है। आज छठ का पहला अर्घ्य दिया जाएगा और ये अस्ताचलगायी सूर्य को दिया जाता है। जल में दूध डालकर सूर्य की आखिरी किरण को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि सूर्य की एक पत्नी जिसका नाम प्रत्यूषा है उन्हें ही ये अर्घ्य दिया जाता है। संध्या के समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते है। कहा जाता है कि इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है और आयु लंबी होती है साथ ही आर्थिक सम्पन्नता आती है। छठ पूजा में डूबते सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्ध्य, जानेंअर्घ्य देने का नियम- सबसे पहले जल में थोड़ा का दूध मिलाए, इसके बाद टोकरी में फल और ठेकुवा आदि सजाकर सूर्य देव की उपासना करें। उपासना और अर्घ्य देने के बाद आपकी जो भी मनोकामना है उसे पूरी करने की प्रार्थना करें। कोशिश करें की जब सूर्य को जल दे रहे हो तो उसका रंग लाल हो। यदि आप किसी कारण वश अर्घ्य नहीं दे पा रहे है तो सिर्फ सूरज के दर्शन करके प्रार्थना करने से भी लाभ होगा।छठ पूजा में डूबते सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्ध्य, जानेंसुबह सूर्य की आराधना करने से स्वास्थ्य बेहतर होता है। सूर्य मुख्य रुप से तीन वक्त सबसे प्रभावशाली होता है प्रातः, मध्यान्ह और सायंकाल। मध्यान्ह की आराधना करने से नाम और यश की प्राप्ती होती है और सांयकाल की आराधना सम्पन्नता प्रदान करती है। अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है। जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की आराधना करते है उन्हें प्रात: काल की उपासना करना भी जरुर करनी चाहिए।