नहीं रहें प्रसिद्ध इतिहासकार मुशीरुल हसन…

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मशहूर इतिहासकार और जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व कुलपति मुशीरुल हसन का सोमवार सुबह देहांत हो गया। वह तकरीबन 70 साल के थे और चार वर्ष पहले हुए एक सड़क हादसे के बाद सेहत संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे।
हसन को कल रात यहां के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।नहीं रहें प्रसिद्ध इतिहासकार मुशीरुल हसन...उन्होंने तड़के चार बजे अंतिम सांस ली। उनके पूर्व सचिव जफर नवाज हाशमी ने बताया, कि दो वर्ष पहले हुए एक सड़क हादसे के बाद से वह बिस्तर पर ही थे। किडनी संबंधी समस्याओं के कारण उनका डायलिसिस किया जा रहा था।
उन्होंने बताया, कि सेहत संबंधी कुछ जटिलताओं की वजह से उन्हें आधी रात को अस्पताल ले जाया गया जहां आज सुबह उनका निधन हो गया। वहीं उनके पारिवारिक सूत्र ने बताया कि उनका नमाज ए जनाजा एक बजे बाबुल इल्म में और दो बजे जामिया मस्जिद में होगा। यूनिर्विसटी के प्रवक्ता ने बताया, कि उन्हें परिसर में बने कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा।

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके उनके निधन पर दुख जताते हुए श्रद्धाजलि दी है। वहीं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हसन के निधन को अकादमिक क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया। नहीं रहें प्रसिद्ध इतिहासकार मुशीरुल हसन...बता दें कि मुशीरुल हसन को विभाजन तथा दक्षिण एशिया में इस्लाम के इतिहास को लेकर किए गए उनके काम के लिए जाना जाता है। वह वर्ष 2004 से 2009 तक जामिया मिलिया इस्लामिया में कुलपति रहे। वह भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के उपाध्यक्ष तथा इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।