भूख से बच्चियां मर रही हैं और शादियों में खाने-पीने की बर्बादी हो रही है: सुप्रीम कोर्ट

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गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में शादी समारोहों में भोजन और पानी की बहुत अधिक बर्बादी होती है जबकि एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में भूख की वजह से दिल्ली के एक इलाके में तीन लड़कियों की मौत हो गई थी और यहां की जनता भी पानी के संकट का निरंतर सामना कर रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस मदन बी लोकूर, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने सरकार से जानना चाहा कि इस स्थिति से निबटने के लिए उसकी क्या योजना है।भूख से बच्चियां मर रही हैं और शादियों में खाने-पीने की बर्बादी हो रही है: सुप्रीम कोर्टकोर्ट ने टिप्पणी की कि मोटल और फार्महाउस, जहां शादी समारोह होते हैं, के मालिकों के व्यावसायिक हितों को जनहित से कहीं अधिक महत्व मिल रहा है। इससे यह आभास होता है कि यह अमीर और ताकतवर लोगों के पक्ष में है। पीठ ने कहा दिल्ली पानी की आपूर्ति के लिए हरियाणा के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। पीठ ने आगे कहा कि यह उचित समय है जब दिल्ली के शासन से संबंधित प्राधिकारी मोटल और फार्ममाउस के मालिकों के व्यावसायिक हितों की तुलना में जनता के हितों को ज्यादा महत्व दें। पीठ ने दिल्ली के मुख्य सचिव को 11 दिसंबर 2018 को उसके समक्ष पेश होने का आदेश दिया ताकि इस संबंध में उचित निर्देश दिए जा सकें।

कोर्ट के अनुसार एक मोटल या फार्म हाउस शादी और अन्य कार्यों के आयोजन के लिए एक लाख लीटर पानी स्टोर करता है। बता दें कि कोर्ट ब्लू सफायर मोटल से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था और इसी दौरान उसे बताया गया कि दिल्ली में करीब 300 विवाह घर हैं लेकिन शादी के मौसम में एक दिन में यहां कई शादियां होती हैं। वहीं मोटल की ओर से पेश किए गए वकील ने कहा कि उनके यहां एक लाख लीटर पानी की क्षमता का भूमिगत जलाशय है और अग्निशमन विभाग ने इसकी क्षमता बढ़ाकर 1.27 लाख लीटर करने के लिए कहा है।भूख से बच्चियां मर रही हैं और शादियों में खाने-पीने की बर्बादी हो रही है: सुप्रीम कोर्टइस पर पीठ ने कहा, इन मोटल मालिकों के व्यावसायिक हित दिल्ली की जनता से ऊपर नहीं है। यदि प्रत्येक मोटल अपने यहां एक लाख लीटर पानी का भंडारण करें और दिल्ली की जनता को पानी नहीं मिले तो क्या करना होगा। पीठ ने कहा, हमें बताएं कि इन 50 हजार शादियों में कितना खाना और पानी बर्बाद होता है। आपके यहां नगर निगम हैं जो इस तरह के लोगों यानी मोटल मालिकों का पक्ष लेते हैं। इसीलिए हमारे सामने इतनी अधिक समस्याएं हैं। जनहित के पक्ष में संतुलन बनाना जरूरी है। इसी दौरान पीठ ने गत जुलाई महीने में दिल्ली में भूख की वजह से तीन लड़कियों की मौत की खबर का जिक्र किया।

नगर निगम के वकील ने जब यह कहा कि भारतीय मानसिकता शादी के अनेक कार्यक्रमों के आयोजन की है तो पीठ ने कहा कि यह उत्तर भारत, विशेषकर दिल्ली, में बहुत अधिक है। पीठ ने कहा, हमारी राय में यह उचित समय है कि दिल्ली में शासन करने वाले संबंधित प्राधिकारी मोटल और फार्महाउस मालिकों तथा ऐसे ही दूसरे संगठनों के व्यावसायिक और वित्तीय हितों को महत्व देने की बजाय जनता के हित के बारे में सोचा जाए। कोर्ट ने कहा कि यह सर्वविदित है कि पीने के पानी और भोजन की उपलब्धता नैसर्गिक मानव अधिकार है और दिल्ली के संबंधित प्राधिकारियों को इसका सम्मान करना चाहिए। दक्षिण दिल्ली में 34 मोटल और 25 लीगल फार्महाउस मौजूद हैं।