अमृतसर में हुए ब्लास्ट के हमलावरों की तस्वीर आई सामने, तलाश जारी

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पंजाब के अमृतसर शहर के एक गांव में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया गया है। राजासांसी के अदावली गांव के संत निरंकारी भवन में हुए इस ब्लास्ट में 3 लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद पंजाब समेत राजधानी दिल्ली, हरियाणा और एनसीआर में हाईअलर्ट है।

अमृतसर में हुए ब्लास्ट के हमलावरों की तस्वीर आई सामने, तलाश जारी

दिल्ली की भीड़भाड़ वाली जगहों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहीं इस मामले में निरंकारी भवन के प्रबंधक द्वारा पुलिस में FIR दर्ज करा दी गई है। ये हमला किसने करवाया है अभी इस बात की पुष्टि तो नहीं हुई है, लेकिन हमले का शक खालिस्तानी समर्थकों पर है। जिन दो लड़कों पर ग्रेनेड फेंकने का शक है, उनकी तस्वीर भी सामने आई है। पुलिस लगातार उनकी तलाश कर रही है। सोमवार सुबह NIA की टीम भी घटना स्थल पर पहुंची और जांच पड़ताल शुरू की।
दरअसल, खुफिया एजेंसियों को निरंकारी भवन पर हुए ग्रेनेड हमले का शक गोपाल सिंह चावला पर है जो आतंकी हाफिज सईद के साथ देखा गया था। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक चावला पंजाब में आईएसआई की मदद से धमाके करने की योजना बना रहा था। वह ऐसे ऐप्स के जरिए स्थानीय युवाओं को अपने साथ जोड़ रहा है जिसे आसानी से डिकोड न किया जा सके।

खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इस धमाके के पीछे गोपाल सिंह चावला का हाथ हो सकता है। गोपाल सिंह चावला पाकिस्तानी है और वह पाकिस्तानी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का पूर्व महासचिव है, उसे खालिस्तानी समर्थक माना जाता है।

अमृतसर में हुए ब्लास्ट के हमलावरों की तस्वीर आई सामने, तलाश जारी

सिर्फ इतना ही नहीं सूत्रों की मानें तो आतंकी जाकिर मूसा के भी पिछले दिनों में कुछ खालिस्तानी समर्थकों से मिलने की खबर है. जाकिर मूसा को कुछ ही दिन पहले पंजाब में देखा गया था। इस बात की शंका जताई जा रही है कि जिन लोगों से जाकिर मूसा मिला है, वह स्लीपर सेल भी हो सकते हैं।

वहीं, अब इस हमले के पीछे हुई साजिश की परतें खुलती जा रही हैं। पंजाब पुलिस के सूत्रों की मानें तो हमले के पीछे खालिस्तानी समर्थकों का हाथ है, जिन्होंने लोकल लड़कों को बहकाकर इस वारदात को अंजाम दिया। ISI की शह पर कश्मीर के आतंकी संगठनों के साथ पाकिस्तान में छिपकर बैठे खालिस्तानी आतंकियों ने इस नेक्सैस को तैयार किया।

बताया जा रहा है कि इस हमले के लिए विदेश से फंडिंग हुई है, जिसकी मदद से ही आईएसआई के स्लीपर सेल ने स्थानीय लड़कों को हैंड ग्रेनेड मुहैया कराई थी।