अयोध्या मामले के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा

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हिंदू पक्ष ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर सभी पक्षों में समझौता हो भी जाता है तो समाज इसे कैसे स्वीकार करेगा? इसपर जस्टिस बोबडे ने कहा कि कोर्ट समझौते पर सहमति देता है और आदेश पास करता है तो वो सभी को मानना होगा।
जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, यह केवल जमीन विवाद नहीं बल्कि भावनाओं, धर्म और विश्वास से जुड़ा मामला है।
जब मध्यस्थता की प्रक्रिया चल रही हो तो उसकी रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए।
मुस्लिम याचिकाकर्ता मध्यस्थता और समझौते को तैयार हैं।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पक्षों से मध्यस्थ और मध्यस्थों के पैनल के नाम का सुझाव मांगा है।
रामलला की ओर से कहा गया है कि अयोध्या का अर्थ है राम जन्मभूमि। मस्जिद किसी दूसरे स्थान पर बन सकती है। ये मामला बातचीत से हल नहीं हो सकता।
जस्टिस भूषण ने कहा कि अगर पब्लिक नोटिस दिया जाएगा तो मामला कई सालों तक चलेगा। वहीं जो मध्यस्थता होगी वो कोर्ट की निगरानी में होगी।
हिंदू महासभा ने कोर्ट में कहा है कि वह मध्यस्थता के लिए इसलिए तैयार नहीं है क्योंकि वह चाहते हैं कि मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए, इससे पहले नोटिस जरूरी है। उनका कहना है कि ये उनकी जमीन है इसलिए वह मध्यस्थता को तैयार नहीं है।
मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने कहा, “मुस्लिम याचिकाकर्ता मध्यस्थता और समझौते के लिए तैयार हैं।”
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर एक घंटे तक सुनवाई चली है। कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रखा है।