डूसू चुनावों में एबीवीपी ने जीती तीन सीटें, मनोज तिवारी ने कहा ये संकेत है 2019 चुनाव का

2

गरुवार को डूसू चुनावों के वोटों के गिनती के बाद एबीवीपी के छात्रों का उत्साह सातवें आसमान पर है। हो भी क्यों न।  तीन सीटों पर जीत का परचम जो लहराया है। वहीं दूसरी तरफ एबीवीपी के उम्मीदवारों को मिली जीत से बीजेपी गदगद है। डूसू चुनाव में मिली जीत अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अहम माना जा रहा है। एक बात तो मानेनी पड़ेगी मोदी अब भी युवाओं के पसंद है। वहीं दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी का एक बयान सामने आया है।

जिसमें उन्होंने कहा कि ये जीत 2019 के चुनाव के लिए जरुरी थी। साथ ही एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में कहा कि ये सीधा-सीधा 2019 का संकेत है। आज के युवा और छात्र शक्ति नरेंद्र मोदी की विचारधारा के साथ है। कांग्रेस, आप और लेफ्ट पार्टी के लोगों ने हमारे खिलाफ जितनी साजिशें हो सकती थीं, वो कीं और फेक न्यूज से लेकर ईवीएम तक को लेकर हम पर आरोप लगाए, मगर उनकी कोई साजिश काम नहीं आई।

उन्होंने कहा कि डूसू की तीन सीटों पर एबीवीपी की जीत स्पष्ट रूप से संकेत है कि छात्र और युवा नरेंद्र मोदी के साथ हैं और उन्होंने हमारी विचारधारा पर अपनी मुहर लगाई है। सचिव पद पर मिली हार के बारे में तिवारी ने कहा कि कुछ लोग विपक्ष में भी रहने चाहिए। तिवारी ने इस जीत को बड़ी जीत बताते हुए कहा कि अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के उम्मीदवार ने 2200 वोटों के अंतर से और उपाध्यक्ष पद पर 7200 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि छात्रों ने हम पर किस कदर विश्वास जताया। इसलिए यह एक बहुत बड़ी जीत है।

उन्होंने दिल्ली सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जिस प्रकार से अरविंद केजरीवाल ने इन चुनावों के दौरान गलत और भ्रामक जानकारी देने वाले पोस्टर लगवाकर और झूठे आरोप लगाकर केंद्र सरकार और बीजेपी को बदनाम करने की साजिश की, उसका दिल्ली के छात्रों ने केजरीवाल को करारा जवाब दिया है। छात्रों ने साबित कर दिया है कि वे ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ कहने वालों के साथ नहीं, बल्कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात करने वालों के साथ हैं। इसके लिए हम छात्रों के आभारी हैं। तिवारी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने जीतने के लिए कम्यूनिस्टों से भी गठबंधन भी किया, फिर भी वह नहीं जीत पाए। इससे यह भी संकेत मिलता है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी अब समाप्त हो रही है और कांग्रेस की हालत भी खराब है।