CLAT 2019 परीक्षा: ये हुए नए बदलाव, यहां जाने!

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देश में होने वाले क्लैट की परीक्षा अब ऑफलाइन लेने का फैसला लिया गया है। यह फैसला एनएलयू कंसोर्टियम की चौथी मीटिंग में लिया गया। मीटिंग का आयोजन नैशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू), बेंगलुरु में हुआ। पिछले साल क्लैट परीक्षाओं के दौरान काफी तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा जिसे ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। क्लैट 2018 का एग्जाम 13 मई को हुआ था जिसमें छात्रों ने काफी गड़बड़ी की शिकायत की थी। छात्रों ने दोबारा परीक्षा कराने की मांग की थी।

क्लैट के ऑफलाइन आयोजन के फैसले के अलावा कंसोर्टियम ने यह भी फैसला लिया है कि एलएलएम के लिए क्लैट के एग्जाम में सब्जेक्टिव क्वेस्चन भी होंगे। क्लैट की एग्जिक्युटिव कमिटी सब्जेक्टिव क्वेस्चन पर काम करेगी। क्लैट के क्वेस्चन पेपर की क्वॉलिटी में सुधार के लिए एक क्वेस्चन बैंक भी तैयार किया जाएगा।

कंसोर्टियम ने परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या के आधार पर परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाने का फैसला भी लिया है। इस संबंध में क्लैट के संयोजक और एग्जिक्युटिव कमिटी द्वारा फैसला लिया जाएगा।

आपको बता दें कि कॉमन लॉ ऐडमिशन टेस्ट (क्लैट) का आयोजन 12 मई, 2019 को नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू), ओडिशा द्वारा किया जाएगा। एग्जाम के पूरे शेड्यूल को जल्द जारी किया जाएगा। क्लैट का आयोजन पहली साल 2008 में किया गया था और करीब 40,000 अभ्यर्थियों ने पहली बार परीक्षा दी थी। परीक्षा का आयोजन देश की 19 नैशल लॉ यूनिवर्सिटियों द्वारा रोटेशन के आधार पर की जाती है। टेस्ट क्लियर करने वाले अभ्यर्थियों का दाखिला लॉ स्कूलों में होता है। 43 अन्य संस्थानों में भी क्लैट के स्कोर पर ऐडमिशन होता है जहां लॉ की पढ़ाई होती है।

अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रैजुएट दोनों पेपर दो घंटे की अवधि के होते हैं। यूजी 200 अंकों का होता है तो पीजी 150 अंकों का। प्रत्येक गलत आंसर के लिए क्लैट परीक्षा में 0.25 मार्क्स काटे जाते हैं। पिछले साल यानी साल 2018 में क्लैट परीक्षा का आयोजन रविवार, 13 मई को किया गया था। जून में कॉमन लॉ ऐडमिशन टेस्ट (क्लैट) 2018 का रिजल्ट जारी किया गया थी। तीन दोस्त जयपुर के रहने वाले अनमोल गुप्ता, अमन गर्ग और देवांश कौशिक ने टॉप किया था। तीनों ने एंट्रेंस एग्जाम में टॉप 3 पोजिशन हासिल की थी। तीनों गहरे दोस्त हैं।

ध्यान रहे कि कॉमन लॉ ऐडमिशन टेस्ट-2018 को लेकर विवाद भी पैदा हो गया था। एबीवीपी के दो स्टूडेंट्स-नमित सक्सेना और निशांत अवाना ने एक याचिका दायर की थी। याचिका में किसी स्वतंत्र निकाय को नियुक्त कर नए सिरे से टेस्ट कराने की मांग की गई थी। याची का दावा था कि 13 मई, 2018 को हुए टेस्ट में मिसमैनेजमेंट दिखाई दी। चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।