श्री कृष्ण जी की पूजा विधि।। Shri Krishna Puja Vidhi

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श्री कृष्ण जी की पूजा विधि

श्री कृष्ण जी की पूजा विधि सामग्री

देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, जल का कलश, दूध, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र व आभूषण। चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, फूल, अष्टगंध। तुलसीदल, तिल, जनेऊ। प्रसाद के लिए फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान, दक्षिणा में से जो भी हो।

श्री कृष्ण पूजन विधि

सर्वप्रथम श्रीगणेश पूजन करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, धूप ,दीप, अक्षत से पूजन करें। अब श्री कृष्ण का पूजन करें। श्रीकृष्ण को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं।वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। अब तिलक करें। ‘‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’’ मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान श्री कृष्ण को अष्टगंध का तिलक लगाएं। अब धूप व दीप अर्पित करें। फूल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती करें। आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें। पूजन के समय ‘‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’’ मंत्र का जप करते रहें।

प्रत्येक व्रत के अंत में पारण होता है, जो व्रत के दूसरे दिन प्रात: किया जाता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण, काल निर्णय के अनुसार जब तक अष्टमी चलती रहे या
उस पर रोहिणी नक्षत्र रहे तब तक पारण नहीं करना चाहिये।
अत: तिथि तथा नक्षत्र के अन्त में ही पारण करना चाहिए।
व्रत का पारण नंदोत्सव में कढ़ी चावल से करें एवं तुलसी की पूजा करें।
इस प्रकार व्रत अर्चन करने से व्रती की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है
और नि:संतान दंपत्ति को संतान प्राप्त होती है।